Bhasha Kise Kahate Hain : भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, और यहां के अलग-अलग राज्यों में भी भाषाएँ अलग-अलग हैं। उत्तर भारत में हिंदी, पंजाबी, उड़िया, बिहारी, राजस्थानी जैसी भाषाएँ बोली जाती हैं। दक्षिण भारत में तमिल, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़, तुलु आदि भाषाएँ बोली जाती हैं। पूर्वी भारत में बंगाली, असमी, मणिपुरी जैसी भाषाएँ बोली जाती हैं। पश्चिम भारत में गुजराती, मराठी, कश्मीरी, सिंधी आदि भाषाएँ बोली जाती हैं। इन भाषाओं का अपना महत्त्व है और ये देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक हैं।

इसलिए आज के इस लेख में हम समझने की कोशिश करेंगे कि Bhasha Kise Kahate Hain और भाषा कितनी तरह की होती है तो चलिए अपनी लर्निंग यात्रा को शुरू करते है… 

Bhasha Kise Kahate Hain | भाषा किसे कहते है?

भाषा की परिभाषा : भाषा का अर्थ होता है किसी ऐसे साधन से जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों व भावों को बोलकर, सुनकर, लिखकर या पढ़कर दूसरों तक पहुंचा सकता है। भाषा मानव समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझाने और दूसरों के भावों को समझने के लिए हमें भाषा की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल में मानव अपने विचारों व भावों को संकेतों की मदद से दूसरों को समझाते थे, परंतु संकेतों की मदद से पूरी बात समझाना या समझ पाना कठिन था। उन्होंने अपने मुख से निकली ध्वनियों को मिलाकर शब्द बनाये और शब्दों के माध्यम से बातचीत का एक नया तरीका खोजा। यहीं से भाषा का उदय हुआ था।

आज भाषा हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। हम भाषा के माध्यम से अपने विचारों व भावों को दूसरों के साथ साझा करते हैं और समाज के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।

भाषा शब्द संस्कृत से निकली हुई है, जिसका अर्थ है “बोलना”. हर व्यक्ति की जिंदगी में भाषा का बहुत महत्व होता है। अध्यापक विद्यार्थियों को समझाने के लिए भाषा का प्रयोग करते हैं, जबकि विद्यार्थी अपने मन के भावों को माता-पिता या अन्य लोगों से बोलकर प्रकट करते हैं।

लिखित भाषा का भी उपयोग किया जाता है जब विद्यार्थी अपनी सोच और विचारों को व्यक्त करने के लिए लेख या निबंध लिखते हैं और अध्यापक उन्हें मूल्यांकन करते हैं। भाषा का प्रयोग विद्यार्थी के संज्ञान और समझ को बढ़ाने में मदद करता है। भाषा अधिकतर प्राणियों के बीच मन के भावों का आदान-प्रदान करने के लिए उपयोग की जाती है, हालांकि पशु-पक्षियों की बोलियों को भाषा नहीं कहा जा सकता है।

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भाषा के रूप 

भाषा के दो रूप होते हैं, जिनके बारे में नीचे जानकारी दी गयी है : 

भाषा के रूप

1) मौखिक भाषा | Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain

मौखिक भाषा वह भाषा होती है जो हम मुख से बोलते हुए व्यक्त करते हैं और जिसे सुन कर समझा जा सकता है। इस भाषा का प्रयोग हम वार्तालाप, टेलीफोन, बातचीत, साक्षात्कार, पढ़ाना, समझाना, संगीत सुनना और कमेंट्री आदि में करते हैं। मौखिक भाषा में ध्वनियों का विशेष महत्व होता है।

लिखित भाषा मौखिक भाषा के बाद विकसित हुई है। इसका प्रयोग पत्र-व्यवहार, कहानी और कविता लिखने, समझाने और पढ़ने के लिए किया जाता है। महान व्यक्तियों के विचार लिखित पुस्तकों के रूप में संग्रहित होते हैं। हमारी प्राचीन ग्रंथ, वेद, उपनिषद आदि भाषा के लिखित रूप के जीवंत उदाहरण हैं।

2) लिखित भाषा | Likhit Bhasha Kise Kahate Hain

लिखित भाषा वह भाषा होती है जो शब्दों के माध्यम से लिखित रूप में व्यक्त होती है। यह संचार के लिए उपयोग की जाती है जो आवाज के माध्यम से नहीं होता है, जैसे इंटरनेट, पुस्तकें, पत्र, संदेश आदि

उदाहरण के लिए, एक व्यापार कर्ता एक मेल लिख सकता है जो एक अन्य व्यापार के साथी को भेजा जाने के लिए होता है। इस मेल में वह अपने साथी को अपने उत्पादों के बारे में बता सकता है और उनसे आगे की व्यापार विचारधारा को समझाने के लिए अनुरोध कर सकता है।

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लिपि किसे कहते है?

जब मनुष्य अपने विचारों को दूर स्थित लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता महसूस करता है, तब उसे लिखने की जरूरत पड़ती है। इसलिए मनुष्य ने मुख से निकली मौखिक ध्वनियों को लिखने के लिए चिह्नों का प्रयोग किया और इसे लिपि कहा गया।

लिपि उस ढंग को कहते हैं जिससे किसी भी भाषा के लिखने का नियम बनता है। प्रत्येक भाषा में हर ध्वनि के लिए एक निर्धारित चिह्न होता है जिससे उस भाषा को लिखा जाता है।

विश्व में अनेक भाषाएं होती हैं जिनके लिए अलग-अलग लिपियां होती हैं। इन लिपियों में से देवनागरी लिपि का विकास प्राचीन ब्राह्मी लिपि से हुआ है।

इस प्रकार सभी भाषाएं अपनी-अपनी लिपि में लिखी जाती हैं। विभिन्न लिपियों के नाम भी अलग-अलग होते हैं, जैसे कि देवनागरी, बंगला, गुरमुखी, तेलुगु आदि।

बोली किसे कहते है?

बोली एक ऐसी भाषा है जो केवल एक सीमित क्षेत्र तक ही सीमित रहती है। यह बोली तब तक सीमित होती है जब तक उसका कोई लिखित साहित्य नहीं होता। बोली में साहित्य की रचना नहीं होती है।

बोली का मतलब होता है कि जब एक ही भाषा अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से बोली जाती है, तो उसे बोली कहते हैं। भारत में भी हिंदी के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न बोलियाँ बोली जाती हैं। हरियाणा, राजस्थान, पूर्वी तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश तथा बिहार में भी हिंदी की बोली जाती है, पर हर जगह उसका रूप थोड़ा बदल जाता है। हिंदी की बोलियों में ब्रज, अवधी, मगही, बुंदेलखंडी, पहाड़ी, हिंद, मारवाड़ी, हरियाणवी, राजस्थानी, भोजपुरी आदि शामिल होती हैं। ये बोलियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में भाषा के विभिन्न रूप को दर्शाती हैं।

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भाषा और बोली में अंतर

भाषा और बोली दोनों ही माध्यम हैं, जिनका उपयोग लोग विचारों, अभिव्यक्ति और संवाद के लिए करते हैं। हालांकि दोनों शब्दों का अर्थ एक समान लगता है, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। नीचे भाषा और बोली के 5 अंतर दिए गए हैं:

  1. भाषा संरचित होती है जबकि बोली एक सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली वाणी होती है।
  2. भाषा को सीधा लिखा जाता है, जबकि बोली का लिखित साहित्य नहीं होता।
  3. भाषा का विकास एक निश्चित कालावधि में होता है, जबकि बोली लोगों के अंतर्निहित संस्कृति और ट्रेडिशन से जुड़ी होती है।
  4. भाषा के लिए समान वर्णमाला होती है, जबकि बोलियों में वर्णमाला में अंतर होता है।
  5. भाषा में गणनीय संख्या में लोग बोलते हैं, जबकि बोली में व्यक्ति विशेष भाषा बोलता है।

इन अंतरों के अलावा भाषा और बोली के बीच और भी कई अंतर होते हैं, लेकिन इन पाँच अंतरों से स्पष्ट होता है कि दोनों में कुछ विशेषताएं होती हैं।

भाषा से संबधित अक्सर पूछे जाने वाले सबाल

प्रश्न : भाषा किसे कहते है?

उत्तर : भाषा वह माध्यम होती है जिसके द्वारा मानव अपने विचारों, भावनाओं, विज्ञान और संस्कृति का अभिव्यक्ति करता है।

प्रश्न : मातृभाषा किसे कहते है?

उत्तर : मातृभाषा वह भाषा होती है, जो किसी व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि पर बोली जाने वाली पहली भाषा होती है।

प्रश्न : राजभाषा किसे कहते है?

उत्तर : राजभाषा वह भाषा होती है, जो किसी राज्य या क्षेत्र में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त होती है।

प्रश्न : उपभाषा किसे कहते है?

उत्तर : उपभाषा वह भाषा होती है, जो किसी क्षेत्र या समुदाय में बोली जाती है और साहित्य उसमें रचा जाता है।

प्रश्न : मानक भाषा किसे कहते है?

उत्तर : मानक भाषा वह भाषा होती है, जो विभिन्न क्षेत्रों या समुदायों के बीच संचार के लिए समान रूप से स्वीकृत होती है।