Sandhi in Hindi : संधि एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आपने अपने स्कूल या किसी सरकारी परीक्षा की तैयारी के दौरान अवश्य सुना होगा, लेकिन अभी के इस आधुनिक युग में हिंदी का महत्व कम होता जा रहा है जिस वजह से लोगो को संधि के बारे में समझने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

इसलिए आज हम संधि को आसान शब्दों में विस्तारपूर्वक समझने का प्रयास करेंगे, जैसे कि Sandhi Kise Kahate Hain, Sandhi Ki Paribhasha और Sandhi Ke Bhed आदि। 

तो चलिए आसान शब्दों में Sandhi को समझने का सिलसिला शुरू करते है!

संधि किसे कहते है?

Sandhi Ki Paribhasha: संधि एक ऐसा बहुत छोटा शब्द है जो हिंदी भाषा में उपयुक्त किया जाता है। जब हम दो अलग-अलग शब्दों को मिला कर एक नया शब्द बनाते हैं, तो हम उसे ‘संधि’ कहते हैं। यानी, दो शब्दों का मिलना और एक साथ नया शब्द बनना ही संधि कहलाता है।

उदाहरण के लिए, 

  • विद्या + आलय = विद्यालय

यहां “विद्या” और “आलय” दो अलग-अलग शब्द हैं लेकिन जब हम इन्हें मिला कर एक साथ पढ़ते हैं, तो नया शब्द “विद्यालय” बनता है। इसमें “आ” शब्द के अंत में और “विद्या” शब्द के शुरू में हुई संधि का उदाहरण है।

Sandhi Ki Paribhasha: कामताप्रसाद गुरु के अनुसार, दो निर्दिष्ट शब्दों के पास – पास आने के कारन उनके मिल से जो विकार होता है उसे संधि कहते है। 

Sandhi Ki Paribhasha: किशोरीदास वाजपेयी के अनुसार, जब दो या दो से अधिक वर्ण पास – पास आते है तो कभी – कभी उनमें रूपांतर हो जाता है और इसी रूपांतर को संधि कहते है। 

लेकिन ध्यान रहे, संधि हम सिर्फ उसी को कह सकते है जहां ध्वनियों के संयोग के फलस्वरूप ध्वनि में परिवर्तन हो, क्योंकि अगर ध्वनियों के पास – पास आने के बाद भी उनमें परिवर्तन नहीं हो रहा है तो संधि नहीं कहा जा सकता है बल्कि उसे संयोग कहा जाता है। 

उदाहरण के लिए,

  • युगांतर (युग + अंतर) एक संधि है। 
  • युगबोध (युग + बोध) एक संयोग है। 

संधि के कितने भेद होते है?

हमारी हिंदी भाषा में शब्दों के रूप में बदलाव को हम ‘संधि’ कहते हैं। संधि भाषा को और भी सुंदर और सरल बनाने में मदद करती है। हिंदी भाषा में संधि तीन प्रकार की होती है जिन्हे हम अभी एक – एक करके समझने का प्रयास करेंगे। 

संधि के कितने भेद होते है?

1) स्वर संधि:

ऐसे शब्द जो दो स्वरों को मिलकर उत्पन्न होते है उन्हें स्वर संधि कहा जाता है। उदाहरण के लिए, “राम + आया” को हम “रामाया” बोलते हैं। यहां ‘आ’ और ‘आ’ मिलकर स्वर संधि हो रही है।

स्वर संधि भी पांच तरह की होती है, जो इस प्रकार है:

स्वर संधि

हमारी हिंदी भाषा में स्वर संधि के पाँच प्रमुख प्रकार होते हैं, जो भाषा को और भी सुंदर बनाते हैं। 

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2) व्यंजन संधि

व्यंजन संधि में एक व्यंजन का किसी दुसरे व्यंजन से अथवा स्वर से मेल होने पर एक व्यंजन में या कभी – कभी दोनों ही व्यंजनों में जो विकार पैदा होता है उसे व्यंजन संधि कहते है। यह संधि हमारी भाषा को और भी सुंदर और सरल बनाती है।

उदाहरण के लिए, 

“राजा + उत्तम” शब्दों को मिला कर “राजोत्तम” बनता है, जहां ‘ज’ और ‘उ’ मिलकर ‘ज्ज’ बनता है। इसे हम व्यंजन संधि कहते हैं।

कुछ अन्य उदाहरण:

  • “देव + इंद्र” = “देवेन्द्र”
  • “पुरुष + उत्तम” = “पुरुषोत्तम”
  • “गोपाल + अनन्त” = “गोपालानन्त”

व्यंजन संधि हिंदी भाषा में बोलने और लिखने को सहज बनाती है और भाषा को अधिक विविध बनाती है।

3) विसर्ग संधि

संस्कृत भाषा में विसर्ग संधि एक विशिष्ट ध्वनि रही है जो स्वर और व्यंजन से अलग होती है, यह हमेशा दो बिन्दुओं (:) के द्वारा लिखी जाती है। यह हमेशा किसी न किसी स्वर के बाद ही आती है। हिंदी में यह ध्वनि नहीं है लेकिन हिंदी में संस्कृत के कुछ विसर्गवाले तत्सम शब्दों का प्रयोग होता है। 

जैसे – प्राय:, अत:, स्वत:, प्रात:काल, दु:ख आदि। 

यदि पहले शब्द के अंत में विसर्ग ध्वनि आती है, तो उसके बाद में आने वाले शब्द के स्वर अथवा व्यंजन के साथ मिलन होता ही है, ऐसी स्थिति में प्राय: कुछ न कुछ ध्वनि विकार हो जाता है, यही विसर्ग संधि है। 

उदाहरण के लिए, 

मन: + रंजन  मनोरंजन
तप: + वन तपोवन
तप: + भूमि तपोभूमि
मन: + विज्ञान मनोविज्ञान
मन: + विकार मनोविकार

हमें उम्मीद है कि आपको इस लेख की मदद से Sandhi Kise Kahate Hain, Sandhi Ki Paribhasha और Sandhi Ke Bhed आदि को समझने में आसानी हुई होगी, लेकिन अगर आपका फिर भी कोई सवाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है।