अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते है या फिर रुचि रखते है तो आपने कभी न कभी इक्विटी का नाम जरुर सुना होगा, तो इसलिए आज हम Equity Meaning in Hindi लेख में विस्तार से समझेंगे कि स्टॉक मार्केट में इक्विटी क्या होती है, इसमें कौन – कौन से सेगमेंट होते है और इक्विटी एंव शेयर्स में अंतर क्या है?
जब कोई कंपनी पैसे के बदले निवेशकों को अपनी कंपनी के शेयर जारी करती है, तो इन शेयरों को ही इक्विटी कहा जाता है। अगर आसान शब्दों में कहे तो Equity शेयरहोल्डर्स की कंपनी में हिस्सेदारी। तो अभी हम Equity Meaning in Hindi को आसानी से समझते है।
What is Equity in Hindi?
इक्विटी मार्केट ट्रेडर्स और इंवेस्टर के लिए शेयर्स को खरीदने या बेचने का मार्केटप्लेस है जहां पर कोई भी निवेशक या ट्रेडर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड किसी भी कंपनी के स्टॉक खरीद या बेच सकते हैं।
Equity Meaning in Hindi:- इसे आसान शब्दों में कहे तो इक्विटी कंपनी के शेयरहोल्डर्स और मालिको की हिस्सेदारी है, यानि कि यह मूल रुप से एक कंपनी में हिस्सेदारी को दर्शाती है।
इसे एक उदाहरण से समझते है…
माना एक कंपनी है जो राहुल ने 60 लाख रुपये लगाकर शुरु की है, अभी कंपनी शुरुआती समय में है इसलिए कंपनी के विस्तार के लिए राहुल को और पैसो की जरुरत है।
इसलिए राहुल अपने दोस्त से 40 लाख रुपये लेता है और कंपनी में हिस्सेदारी दे देता है। इस तरह से कंपनी में राहुल की हिस्सेदारी 60% है और उसके दोस्त की हिस्सेदारी 40% है।
इसी को हम स्टॉक मार्केट की भाषा में समझते है, माना XYZ कंपनी के कुल शेयरों की संख्या 1000 है जिसमें से आप 100 शेयर खरीद लेते है तो इसका मतलब है कि आप XYZ कंपनी में 10% इक्विटी के हिस्सेदार है।
इक्विटी शेयर के प्रकार
अभी तक हम Equity Meaning को समझ चुके अभी इक्विटी शेयर कितने प्रकार के होते है समझते है-
इक्विटी शेयर का ही एक प्रकार है, जिसमें शेयर्स तीन प्रकार के होते है-
- इक्विटी शेयर्स (Equity Shares)
- प्रेफरेंस शेयर्स (Preference Shares)
- डीवीआर शेयर्स (Shares with differential Voting Rights)
इक्विटी शेयर्स:- जैसा कि हम पहले ही पढ चुके है, इक्विटी शेयर्स और कुछ नही बल्कि कंपनी में मालिको और अन्य होल्डर्स की हिस्सेदारी है। जिन्हे इक्विटी शेयर्स के नाम से जाना जाता है।
प्रेफरेंस शेयर्स:- प्रेफरेंस शेयर जिन्हें आमतौर पर प्रीफर्ड स्टॉक(Preferred Stock) के रूप में भी जाना जाता है, प्रेफरेंस शेयर्स ऐसे शेयर्स होते है जिन्हे कंपनी द्वारा घोषित डिवीडेंट इक्विटी शेयरधारकों से पहले दिया जाता है।
डीवीआर शेयर्स:- डीवीआर का पूरा नाम डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स है। यह एक साधारण इक्विटी शेयर की तरह ही है लेकिन ये सामान्य शेयरों की तुलना में डीवीआर शेयरों में कम वोटिंग अधिकार होते हैं।
अब जब आप Equity Meaning in Hindi को समझ गए हैं तो आइए हम Equity Shares Meaning in Hindi पर चर्चा करें।
Equity Shares Meaning in Hindi
इक्विटी शेयर एक प्रकार का कॉमन शेयर होता है जो कंपनी द्वारा जारी किए जाते हैं ताकि कंपनी अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सके या पैसा जुटा सके। जब कोई कंपनी अपने शेयरों को पहली बार जारी करती है, तो उसकी प्रक्रिया आईपीओ के माध्यम से होती है।
एक बार कंपनी के शेयर जारी होने के बाद, कोई भी उस कंपनी में शेयर खरीद सकता है। शेयर मार्केट में इक्विटी का मतलब शेयर होता है, जिसे निवेशक या ट्रेडर खरीदते या बेचते हैं। इसलिए शेयर मार्केट को इक्विटी मार्केट भी कहा जाता है।
स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड कंपनियां निवेशकों को अपनी कंपनी के शेयर खरीदने और बेचने की अनुमति देती हैं। इक्विटी और शेयर में ज्यादा अंतर नहीं होता है, लेकिन इक्विटी शेयर एक प्रकार का कॉमन शेयर होता है।
स्टॉक, शेयर या इक्विटी तीनो का मतलव लगभग एक ही है। इसलिए इन तीनो में ज्यादा कनफ्युज न हो।
उदाहरण के लिए,
रिलायंस के कुल शेयर्स की संख्या 100 करोड है और आप रिलायंस के एक करोड शेयर्स खरीद लेते है तो इसका मतलब है कि आप रिलायंस कंपनी में 1% इक्विटी शेयर्स के हिस्सेदार है। अब अगर कंपनी प्रॉफिट करेगी तो आपको भी लाभ होगा, वही दूसरी तरफ अगर कंपनी को नुकसान होगा तो आपको भी नुकसान होगा। एक तरह से हम यह कह सकते कि कंपनी का नफा या नुकसान आपका होगा।
इक्विटी सेंगमेंट कितने तरह के है?
इक्विटी में विभिन्न प्रकार के सेंगमेंट है जिन्हे हम ट्रेडिंग और निवेश के दौरान उपयोग करते है, तो अभी हम इक्विटी के प्रत्येक सेंगमेंट को वारिकी से समझते है।
इक्विटी इंट्राडे
अगर आप आज किसी स्टॉक को खरीदकर आज ही ट्रेडिंग सेशन खत्म होने से पहले बेच देते है तो इस प्रक्रिया को इंट्राडे कहा जाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान एक ट्रेडर किसी ट्रेड में सिर्फ कुछ मिनटो से लेकर कुछ घंटो तक बना रहता है, इस दौरान उसे चाहे लाभ हो या हानि स्वीकार करना होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान आप अपनी पोजिशन को ऑवर नाईट होल्ड नही कर सकते है, अगर आप 03:20 PM से पहले अपनी पोजिशन को स्कावर ऑफ नही करते है तो आपका ब्रोकर स्वचलित रुप से खुद ही आपकी पोजिशन को स्कावर ऑफ कर देगा।
इसी तरह जब भी कोई ट्रेडर किसी कंपनी के शेयर्स कुछ मिनटो से कुछ घंटो के लिए खरीदता है तो वह इक्विटी इंट्राडे के अंडर आता है क्योंकि बह कंपनी के शेयर्स यानि इक्विटी में ट्रेड कर रहा है और साथ ही इंट्राडे के लिए ट्रेड कर रहा है तो दोनो शब्द इक्विटी + इंट्राडे को मिलाकर इक्विटी इंट्राडे बना है।
इक्विटी डिलीवरी
अगर आप स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीद कर एक दिन से ज्यादा होल्ड रखते है तो वहां पर डिलीवरी लागु हो जाती है।
यह हमेशा याद रखे कि अगर आप आज किसी कंपनी के शेयर्स को खरीदते है तो बह शेयर्स एक दिन बाद आपके डीमैट खाते में क्रेडिट किए जायेंगे। क्योंकि इक्विटी डिलीवरी में सेबी द्वारा लागु T+1 नियम लागु होता है।
जहां पर,
T = Trading Season (Working Day)
पहले T+2 नियम लागु था, यानि अगर आप किसी कंपनी के शेयर्स आज खरीदते है तो बह शेयर्स दो दिन बाद आपके डीमैट खाते में क्रेडिट किए जाते थे। लेकिन अब T+1 नियम के कारण एक दिन बाद ही आपके द्वारा खरीदे गए शेयर्स आपके डीमैट खाते में आ जाते है।
अगर रिस्क की बात करे तो यह इंट्राडे के मुकाबले कम जोकिम भरा है, इसमें सुईग ट्रेडिंग, पोजिशनल ट्रेडिंग और लम्बी अवधि का निवेश आता है।
इक्विटी फ्युचर
जैसा कि आपको पता होगा कि फ्युचर डेरीवेटिव का हिस्सा है। इक्विटी फ्युचर ट्रेडिंग वाकी सेंगमेंट के मुकाबले थोडा जोकिम भरा है। लेकिन जोकिम के साथ ही इसमें ज्यादा मुनाफा करने का भी अवसर छिपा है।
हम फ्युचर में इक्विटी इंट्राडे या डिलीवरी की तरह ट्रेड नही कर सकते है क्योंकि फ्युचर ट्रेडिंग दो पार्टियों के बीच एक समझोते पर होती है। जिसमें एक पार्टी खरीददार और दूसरी पार्टी सेलर होती है।
जिसमें दोनो पक्ष भविष्य की किसी तारीख पर एक विशेष प्राइस में कॉन्ट्रेक्ट पर समझौता करते है। उस तारीख पर कॉन्ट्रेक्ट की वैल्यु किया होगी, इस आधार पर लाभ या हानि होती है।
इक्विटी ऑप्शन
इक्विटी ऑप्शन ट्रेडिंग का सबसे लोकप्रिय ट्रेडिंग सेंगमेंट है इसके ज्यादा जोकिम के साथ – साथ, बडा मुनाफा करने के बहुत से मौके छिपे है। ये फ्युचर ट्रेडिंग से भी ज्यादा मुनाफा दे सकता है, बशर्ते इसे अच्छे से समझने के बाद किया जाए।
ऑप्शन भी डेरिवेटिव का दूसरा हिस्सा है, जहां पर हमें किसी स्टॉक या इंडेक्स को सीधे खरीदने की जरुरत नही होती है। ये भी एक कॉन्ट्रेक्ट पर आधारित होता है जहां पर पूरा लेन देन अंडरलाइंग पर होता है।
आप ऑप्शन ट्रेडिंग में किसी शेयर को नही खरीदते है बल्कि उसका कॉन्ट्रेक्ट खरीदते है इसलिए आपको शेयर प्राइस जितना भुगतान करने की आवश्यकता नही होती है बल्कि कॉन्ट्रेक्ट के लिए भुगतान करना होता है।
इक्विटी ऑप्शन में हम इक्विटी आधारित ऑप्शन में ट्रेड करते है जैसे – स्टॉक्स और इंडेक्स।
इक्विटी और शेयर में क्या अंतर है?
इक्विटी | शेयर्स |
इक्विटी एक कंपनी में हिस्सेदारी होती है जिसे स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं किया जा सकता है। | किसी भी लिस्टेड कंपनी के शेयर्स को आप आसानी से स्टॉक मार्किट में ट्रेड कर सकते है। |
इसमें शेयर्स और सभी तेंजिबल एसेट शामिल होते है। | इसमें सिर्फ शेयर्स और प्रेफरेंस शेयर्स ही शामिल होते है। |
इक्विटी में ज्यादा जोखिम होता है क्योंकि वह एक हिस्सेदार की भूमिका निभाता है। | शेयर्स इक्विटी की तुलना में थोड़े कम जोखिमभरे होते है क्योंकि इन्हे आप कभी भी ओपन मार्किट में। |
उदाहरण : माना एक व्यक्ति ने 10 लाख रुपये एक बिज़नेस में लगाए और उस बिज़नेस पर कोई भी कर्ज नहीं है तो वह व्यक्ति उस कंपनी का 100% इक्विटी का मालिक है। | उदाहरण : माना एक व्यक्ति ने रिलायंस के 1000 शेयर्स खरीदे तो वह रिलायंस कंपनी में 1000 शेयर्स का हिस्सेदार बन गया है। |
निवेशक का इक्विटी में निवेश करने का मुख्य उद्देश्य लोंगटर्म में अच्छा पैसा कमाना होता है। | निवेशक छोटी अवधि में पैसा कमाने के लिए शेयर्स में निवेश करते है। |
सभी इक्विटी शेयर्स नहीं होते है… | सभी शेयर्स इक्विटी होते है… |
निष्कर्ष
स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले इसकी बारिकोयों को समझना अति आवश्यक है और इसके साथ – साथ Equity Meaning in Hindi लेख का निष्कर्ष यह निकलता है कि किसी कंपनी में मालिक और शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी को इक्विटी कहा जाता है।
उम्मीद करते है आपको Equity Meaning in Hindi लेख पसंद आया होगा, अगर आपका कोई सबाल है तो हमें कमेंट कर सकते है।
सर्बाधिक पूछे जाने बाले सबाल
प्रश्न :- इक्विटी क्या है?
उत्तर :- किसी कंपनी में मालिक और शेयर होल्डर्स की हिस्सेदारी को इक्विटी कहते है।
प्रश्न :- शेयर क्या है?
उत्तर :- शेयर इक्विटी का सबसे छोटा हिस्सा है जिसे हम आसानी से स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर सकते है।
प्रश्न :- इक्विटी शेयर कैसे इशु होते है?
उत्तर :- जब भी कोई कंपनी अपने विस्तार या अपना कर्जा चुकाने के लिए पब्लिक से पैसा उठाना चाहती है तो उसके लिए कंपनी अपना आईपीओ जारी करती है इसके जरिए कंपनी अपने इक्विटी शेयर पब्लिक को बेचती है।
प्रश्न :- शेयरहोल्डर्स इक्विटी क्या है?
उत्तर :- एक कंपनी में शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी को शेयरहोल्डर्स इक्विटी कहा जाता है।
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