जब भी हम हिंदी व्याकरण की बात करते है तो संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण (Visheshan In Hindi) सबसे पहले आते है क्योंकि ये तीनों हिंदी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। हम सभी जानते हैं कि शब्दों के सही उपयोग से हमारी भाषा और भाषाई ज्ञान की स्थिति में सुधार होता है। इसी तरह, हमारी हिंदी भाषा में विशेषण एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। 

यह हमें न केवल समझने में मदद करता है कि Visheshan Kise Kahate Hain, बल्कि यह हमें संज्ञाओं या सर्वनामों के साथ कैसे उपयोग करना चाहिए इसके बारे में भी बताता है। इस लेख में हम विशेषण के बारे में विस्तार से जानेंगे और यह भी देखेंगे कि Visheshan Kise Kahate Hain और इनका उपयोग कैसे कर सकते हैं।

तो चलिए हिंदी के इस सफर के इस सफर विशेषण किसे कहते है से शुरू करते है….

Visheshan Kise Kahate Hain

विशेषण (Visheshan In Hindi) का अर्थ होता है किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषताओं को बताने वाले शब्द। संज्ञा और सर्वनाम संज्ञाओं के साथ विशेषण शब्द प्रयोग किए जाते हैं।

विशेषण शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषताओं को बताते हैं। जैसे कि लाल फूल, दौड़ती गाड़ी, मोटी गाय, सुंदर लड़की आदि। विशेषण शब्दों का प्रयोग करके हम उन वस्तुओं या व्यक्तियों की विशेषताओं को बता सकते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम से नहीं बताई जा सकती हैं।

विशेषण शब्दों का अनेक उदाहरण होते हैं जैसे विवेकी व्यक्ति, गरीब बच्चा, काला कुत्ता, लंबा आदमी, सूखी धूप, शांत समुद्र आदि।

विशेषण शब्दों के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे संख्यावाची विशेषण, गुणवाची विशेषण, स्वभाववाची विशेषण, परिमाणवाची विशेषण आदि।

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Visheshan Ki Paribhasha

विशेषण की परिभाषा: विशेषण एक ऐसा शब्द है जो संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया आदि के साथ प्रयोग किया जाता है और जो किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की विशेषता बताता है। इसे विशेषता बताने वाला शब्द भी कहा जाता है। विशेषण के प्रयोग से हम किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की विशेषताओं को स्पष्ट रूप से बयां कर सकते हैं।

विशेषण का महत्व

विशेषण हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके माध्यम से हम भाषा में व्यक्ति, वस्तु या स्थान की विशेषताओं को समझने में सक्षम होते हैं। यह एक संपूर्ण वाक्य को समझने में मदद करता है। विशेषण के बिना हम किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के बारे में समझ़ नहीं सकते हैं। इसलिए, हिंदी भाषा के विद्यार्थियों के लिए विशेषण की समझ अत्यंत आवश्यक होती है।

विशेषण के भेद (Visheshan Ke Bhed)

विशेषण भाषा में उस शब्द को कहते हैं, जो संज्ञा या सर्वनाम के विशेषताओं को बताता है। ये विशेषण भिन्न-भिन्न प्रकारों में होते हैं।

Visheshan Ke Bhed

गुणवाचक विशेषण: जब विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की गुणवत्ता या विशेषता को बताता है, तो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- सुंदर, लम्बा, तेज़ आदि।

संख्यावाचक विशेषण: जब विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या को बताता है, तो उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- एक, दो, तीन, चार आदि।

संज्ञावाचक विशेषण: जब विशेषण संज्ञा की विशेषता को बताता है, तो उसे संज्ञावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- भारतीय, रंगीला, लाल आदि।

सार्थक विशेषण: जब विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को सम्पूर्णता से बताता है, तो उसे सार्थक विशेषण कहते हैं। जैसे- सच्चा, आख़िरी, सबसे बड़ा आदि।

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विशेषण के उदाहरण

विशेषण के उदाहरण हमें यह बताते हैं कि विशेषण कैसे वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं। विशेषण के भेदों के उदाहरणों में गुणवाचक विशेषण के उदाहरण शामिल होते हैं जैसे शानदार, सुंदर, बड़ा, छोटा, लम्बा, मोटा आदि।

संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण में संख्याओं से सम्बंधित शब्द शामिल होते हैं जैसे एक, दो, तीन, चार, पाँच आदि। उदाहरण के रूप में, एक गाय, दो लोग, तीन किताबें आदि।

संज्ञावाचक विशेषण उस संज्ञा का वर्णन करते हैं जिसके लिए वे इस्तेमाल होते हैं। उदाहरण के रूप में, एक बड़ा पेड़, छोटी कुत्ती, लाल गुलाबी फूल आदि।

सार्थक विशेषण दूसरी शब्दों की सहायता से किसी विशेषण की विशेषता का वर्णन करते हैं। उदाहरण के रूप में, समझदार बच्चे, खुशनुमा अंदाज, सफ़ेद रंग का चमकता तारा, बुद्धिमान व्यक्ति आदि।

गुणवाचक विशेषण (Gunvachak Visheshan)

विशेषण शब्द हमेशा संज्ञा या सर्वनाम के रूप में प्रयोग होते हैं, जो उनकी रंग, गुण और विशेषताओं का वर्णन करते हैं। यह भौतिक गुणों को भी बताने के काम आते हैं।

  • रामायण एक विशाल ग्रंथ है।
  • सोमनाथ पुराने मंदिर में से एक है।
  • भारत में अच्छे लोग रहते हैं।
  • कुतुब मीनार ऊँचा है।

उपरोक्त वाक्यों में “विशाल”, “पुराने”, “अच्छे” और “ऊँचा” जैसे शब्द गुणवाचक विशेषणों के उदाहरण हैं। इनके द्वारा महत्ता, उम्र, गुण और ऊंचाई जैसी विशेषताओं का वर्णन किया जाता है।

संख्यावाचक विशेषण (Sankhyavachak Visheshan)

संख्यावाचक विशेषण वे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के संख्यात्मक गुणों का बोध कराते हैं।

  • मनुष्य के शरीर में 206 हड्डियां होती हैं।
  • समुद्र में पांच महासागर होते हैं।
  • एक सप्ताह में सात दिन होते हैं।

उपरोक्त वाक्यों में, 206, पांच, सात ये सभी शब्द संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण हैं। जिनके द्वारा उपस्थिति और संख्यात्मक आंकड़े बताए गए हैं। यह विशेषण हमें स्पष्ट रूप से संख्या के द्वारा बताते हैं कि किसी वस्तु में कितना योगदान है।

संख्यावाचक विशेषण के भेद

  • निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  • अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
निश्चित संख्यावाचक विशेषण

निश्चित संख्यावाचक विशेषण शब्द उन शब्दों को कहते हैं जो किसी वस्तु या व्यक्ति की संख्या को बताते हैं, जैसे दो, तीन, एक, पांच, दस आदि। ये शब्द निश्चितता का बोध करवाते हैं। इनमें सात भेद होते हैं जो हैं: अधिकतम, न्यूनतम, सम, असम, अनन्य, अग्रेषित। इन विशेषण शब्दों के द्वारा संख्या के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया जाता है।

#1 पूर्णाक बोधक विशेषण उस तरह के शब्द होते हैं जो संख्याओं को बताते हैं, जैसे एक, दस, सौ, हजार, लाख आदि। इन शब्दों का उपयोग अक्सर संख्यात्मक वाक्यों में किया जाता है। जैसे कि, एक व्यक्ति बैठा है, दस लोग खाना खा रहे हैं, सेना में सौ हाथी हैं, अमीरों का लाखों रूपये का व्यापार होता है।

#2 अपूर्णांक बोधक विशेषण उन शब्दों को बताते हैं जो अनुमानित संख्याओं को दर्शाते हैं, जैसे पौना, सवा, डेढ़, ढाई आदि। इन शब्दों का उपयोग अक्सर अनुमानित संख्याओं को बताने के लिए किया जाता है। जैसे कि, डेढ़ कदम ज्यादा चलना, सवा दो रूपये की बात है, ढाई सौ रूपये में खेद बेचा था।

#3 क्रमवाचक विशेषण उन शब्दों को कहा जाता है जो बताते हैं कि कुछ की क्रमवार रूप से स्थान, समय, अवस्था या आकार में क्या स्थान है। यह शब्द वाक्य में एक सुनिश्चित विशेषता को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, दूसरा, चौथा, ग्यारहवाँ, पचासवाँ आदि।

#4 अव्रत्तिवाचक विशेषण उन शब्दों को कहा जाता है जो किसी वस्तु की गुणवत्ता को दोहराते हैं या उसे कुछ गुना कर देते हैं। ये विशेषण किसी वस्तु के विवरण को दिखाते हैं। उदाहरण के लिए, दुगुना, तिगुना, दसगुना आदि।

#5 अव्रत्तिवाचक विशेषण उन शब्दों को कहते हैं जो किसी वस्तु की मात्रा को बढ़ाकर बयान करते हैं। जैसे कि “दुगुना”, “तिगुना”, “दसगुना” आदि। 

  • हम अच्छे कर्म करते हैं, 
  • हमें उससे दोगुना फल मिलता है। 
  • भीम के हाथ दस गुना ज्यादा बल था जिससे वह हाथियों को आसानी से जीत सकता था।

#6 समूहवाचक विशेषण उन शब्दों को कहते हैं जो समूह की संख्या को बताते हैं। जैसे कि “तीनों”, “पाँचों”, “आठों” आदि। 

  • ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 
  • तीनों लोकों में भगवान से बढ़कर कोई नहीं है। 
  • शरीर में पांच तत्वों का महत्व है जो शरीर को जीवित रखते हैं।

#7 प्रत्येक बोधक विशेषण उन शब्दों को कहते हैं जो हर वस्तु को एक एक करके बताते हैं। जैसे कि “प्रति”, “प्रत्येक”, “हरेक”, “एक-एक” आदि। 

  • बच्चों के प्रति हमें स्नेह और प्यार बरताना चाहिए। 
  • प्रत्येक व्यक्ति को ईमानदारी से काम करना चाहिए ताकि वह सफलता हासिल कर सके। 
  • एक-एक अनाज का दाना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह संपूर्ण अनाज के निर्माण के लिए आवश्यक होता है।
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

ये विशेषण शब्द संख्या की सूचना तो देते हैं लेकिन निश्चित संख्या नहीं बताते। जैसे “कई”, “अनेक”, “बहुत”, “कम”, “सभी”, “अनंत” आदि। 

  • कई लोगों की भूख मरने जैसी आपदाओं से लड़ना बहुत मुश्किल होता है। 
  • अनेक बार हमारी संतानों को देखकर हमें हमारे परमात्मा का आभार महसूस होता है। 
  • कम पढ़ा लिखा होना किसी की बुराई नहीं होती। 
  • ईश्वर की अनंतता को व्यक्त करना मानव की समझ से ऊपर है।

परिमाणवाचक विशेषण (Pariman Vachak Visheshan)

परिमाणवाचक विशेषण शब्द वह शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को मात्रा के द्वारा बताते हैं। इन शब्दों का प्रयोग वस्तु के नाप-तौल आदि को समझाने के लिए किया जाता है। परिमाणवाचक विशेषण भाववाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक और संज्ञाओं के साथ जुड़कर प्रयोग किये जाते हैं।

  • कुत्ता कुछ ही देर में सो जाता है।
  • समुद्र के आसपास कई देश होते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण के भेद

  • निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
  • अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

निश्चित परिमाणवाचक विशेषण वे शब्द होते हैं जो निश्चित मात्रा का बोध करवाते हैं। इन शब्दों का प्रयोग मात्रावाचक संज्ञाओं, द्रव्यों और अन्य सामान्य बातों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए, “दो लीटर दूध चाहिए” शब्दों में “दो” शब्द निश्चित परिमाणवाचक विशेषण है क्योंकि यह निश्चित मात्रा का बोध करता है। इसी तरह, “एक किलोमीटर दौड़ने के बाद मुझे थकावट हो गयी” में “एक” शब्द भी निश्चित परिमाणवाचक विशेषण है क्योंकि यह निश्चित मात्रा का बोध करता है।

इसके विपरीत, “अधिक गुस्सा हो रहा है” या “कम बोलना सीखो” शब्दों में “अधिक” और “कम” निश्चित मात्रा का बोध नहीं करते हैं। इन शब्दों का उपयोग अनिश्चित मात्रावाचक संज्ञाओं जैसे भावनाओं, अनुभवों और समीकरणों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

सार्वनामिक विशेषण (Sarvnamik Visheshan)

सार्वनामिक विशेषण का उपयोग संज्ञाओं की जगह सर्वनाम के साथ किया जाता है। इन शब्दों के द्वारा संज्ञा का स्थान बताया जाता है। जैसे: वह आदमी दयालु है। यहां संज्ञा “आदमी” के बजाय सर्वनाम “वह” का प्रयोग किया गया है। अन्य उदाहरण में, “मेरी पुस्तक” की जगह “यह” या “वह” का प्रयोग किया जा सकता है।

व्यक्तिवाचक विशेषण (Vyaktivachak Visheshan)

व्यक्तिवाचक विशेषण वह होते हैं जो व्यक्ति की संज्ञा को व्यक्त करते हैं। जैसे: वह केशव ही है, जो कल वहां था, जापानी खिलौने, बीकानेरी भुजिया, जयपुरी रजाइयाँ, भारतीय सैनिक, बनारसी साङी, कश्मीरी सेब, जोधपुरी जूती आदि।

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हमें उम्मीद है कि आपको Visheshan Kise Kahate Hain लेख की जानकारी काफी पसंद आयी होगी, क्योंकि हमने बहुत ही आसान शब्दों में विशेषण को समझाने की कोशिश की है। लेकिन फिर भी अगर आपका कोई सवाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है और इससे आपको कुछ सीखने मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले!