5 बेहतरीन प्रेरणादायक कहानियां

Written by Wiki Bharat Team

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आपका स्वागत है इस नए स्टोरी ब्लॉग में, आज हम आपके साथ 5 प्रेरणादायक कहानियाँ (Motivational Stories in Hindi) शेयर करेंगे। क्योंकि जीवन अक्सर हमें संघर्ष, चुनौतियों और उतार-चढ़ावों का अनुभव कराता है। जीवन में उतार-चढ़ावों के दौरान कभी-कभी हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरणा यानी मोटिवेशन की आवश्यकता होती है। इसलिए इस ब्लॉग लेख के माध्यम से हम आपको ऐसी कहानियाँ पेश करेंगे जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी। 

ये प्रेरणादायक कहानियाँ (Motivational Stories in Hindi) जीवन के विभिन्न पहलुओं पर जोर देती हैं। यह कहानियाँ आपको सफलता की ओर प्रेरित करने के साथ-साथ, आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मदद करेंगी। ये प्रेरणादायक कहानियाँ सभी वर्गों के लोगों के लिए उपयोगी है, फिर चाहे आप एक व्यापारी, कर्मचारी, विद्यार्थी या घरेलू महिला हों।

Best Motivational Stories in Hindi

हम आशा करते हैं कि इन प्रेरणादायक कहानियों (Motivational Stories in Hindi) का आपको अच्छा अनुभव मिले और आप इन कहानियों से प्राप्त शिक्षा से अपने लक्ष्यों  कर पाएं। हर एक कहानी हमें जिंदगी के कई रहस्यों को समझने में कोशिश है, वशर्ते आप इन कहानियों से प्रेरित होकर अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढे। 

#1 एकाग्रता – सफलता की कुंजी

Motivational Stories in Hindi एक समय सुन्‍दर नाम का एक युवक था। वह एक सर्कस कम्‍पनी में काम मांगने गया। सर्कश के मालिक ने सुन्‍दर को काम पर रख लिया और हिदायत दी कि-

शेर के पिंजरे के पास मत जाना क्‍योंकि शेर अनजान आदमी को देख कर भड़क जाता है।

सुन्‍दर ने हाँ में अपना सिर हिला दिया लेकिन सुन्‍दर ने उस सर्कश का काफी नाम सुन रखा था। वह जानता था कि वहाँ रहने वाला वीरशेरसिंह शेरों को बडी ही आसानी से अपना पालतु बना लेता है पर वह उससे कभी मिला नही था।

एक दिन सुन्‍दर आपने काम मे व्‍यस्‍त था, तभी उसने एक कर्मचारी को देखा, जो शेर के पिंजरे मे खड़ा था और शेर को कुछ करतब सिखा रहा था। सुन्‍दर उस कर्मचारी के पास गया और पूछा-

तुम शेर के पिंजरे मे क्‍या कर रहे हो? तुम्‍हे डर नही लगता शेर से?

वीरशेरसिंह ने उत्‍तर दिया-

नहीं… मुझे शेर के पिंजरे मे डर नही लगता क्‍योंकि यह मेरा रोज का काम है।

सुन्‍दर ने उस कर्मचारी का नाम पूछा तो कर्मचारी ने कहा-

मेरा नाम वीरशेरसिंह है और में इस सर्कश में शेरो को पालतु बना कर उनको खेल सिखाता हुँ।

सुन्‍दर ने वीरशेरसिंह को देखा तो उसे बडी खुशी हुई। उसने कहा-

बहुत नाम सुना है आपका। क्‍या आप मुझे सिखाओगे कि शेरों को पालतु कैसे बनाते है?

वीरशेरसिंह ने जवाब दिया-

हाँ… क्‍यों नहीं… तुम सही समय पर यहाँ मेरे पास आए हो। मैं आज ही एक शेर को पकडने जा रहा हुँ जिसने काफी लोगो को मारा है। क्‍या तुम मेरे साथ उस शेर को पकडने चलना चाहोगे।

सुन्‍दर ने हाँ में अपना सिर हिला दिया। सुन्‍दर ने देखा कि वीरशेरसिंह ने न अपने साथ कोई हथियार लिया और कोई बचाव का कोई उपाय किया। बस केवल एक स्‍टूल और एक लकडी ले ली और चल दिये जंगल की ओर। सुन्‍दर ने वीरशेरसिंह से पूछा कि-

अगर शेर ने हम पर हमला कर दिया तो हम मारे जायेंगे।

शेरसिंह ने कहा-

तुम चिंता मत करो। यह मेरी जिम्‍मेदारी है कि हमको कुछ भी नही होगा।

दोनों जंगल को चल देते है और जैसे ही वे जंगल पहुंचते हैं, उनके सामने वही शेर आ जाता है और वीरशेरसिंह की तरफ गरजते हुए आगे बढता है। शेर को अपनी ओर आता हुआ देखकर वीरशेरसिंह एक हाथ से स्‍टूल उठाता है और उसके चारों पाए शेर की तरफ कर देता है तथा दूसरे हाथ से लकडी को शेर के सामने हिलाता है। शेर कभी उस स्‍टूल के पाये को देखता है तो कभी उस लकडी को।

बार-बार स्‍टूल और लकडी की ओर ध्‍यान केंद्रित करने की कोशिश करते-करते वह कुछ ही देर में वह शेर असहाय हो जाता है। ध्‍यान बंटने के कारण वीरशेरसिंह उस शेर पर अपना काबु पा लेता है और शेर को पकड कर उसे अपना पालतु बना लेता है।

सुन्‍दर यह सब देख रहा होता है कुछ देर बाद सुन्‍दर वीरशेरसिंह की तारीफ करता है और उससे पूंछता है कि-

तुमने यह सब कैसे किया और शेर इतनी आसानी से तुम्‍हारे आधीन कैसे  हो गया?

वीरशेरसिंह सुन्‍दर से कहता है-

सुन्‍दर… कई बार ऐसा होता है कि साधारण आदमी भी ध्‍यान केंद्रित करके कोई बडा कार्य करता है, तो सफल हो जाता है। लेकिन अगर कोई महान आदमी भी बिना ध्‍यान लगाए काेई कार्य करे, तो वह भी उस कार्य को ठीक से नही कर पाता।

तुमने देखा कि शेर का ध्‍यान भटक गया था। कभी वह स्‍टूल के चारों पाये देख रहा था, तो कभी मेरी उस लकडी को, जो कि मैं हिला रहा था। इस कारण ही शेर का ध्‍यान मुझ पर केंद्रित नही हो पाया और आखिर में शेर थक कर हार गया। अगर वह अपने ध्‍यान को एकाग्र रखता, तो हम यहां नहीं होते, बल्कि परलोक चल दिये होते।

शिक्षा – एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है। इसलिए किसी भी प्रकार की सफलता तभी प्राप्‍त हो सकती है, जब उससे सम्‍बंधित कार्य को पूर्ण एकाग्रता के साथ किया जाए।

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#2 हंसकर स्‍वीकार करें

Positive Thinking Stories in Hindi – एक गाँव के मंदिर के पास ही दो साधू रहते थे। उन दोनों ने उसी मंदिर के पास ही अपनी एक झोपड़ी बना रखी थी। वे दोनो साधू दिनभर मंदिर में रहते और सुबह-शाम भगवान की पूजा करते तथा शाम को अपनी झोपड़ी में आकर आराम विश्राम करते।

इसी तरह से उन दोनों के दिन गुजर रहे थे कि एक दिन अचानक गाँव में बहुत तेज आंधी आई। आंधी इतनी तेज व भयंकर थी कि उससे सभी गाँव वालों की फसल तो खराब हो ही गई साथ ही बहुत सारे गांव वालों के घर भी टूट गए।

जब दोनों साधूओं ने आकर अपनी झोपड़ी को देखा तो आंधी-तूफान के कारण उन की भी आधी झोपड़ी टूट गई थी।

अपनी टूटी हुई झोपड़ी देख कर एक साधू बहुत क्रोधित हो गया और भगवान को ही कोसते हुए कहने लगा, “भगवान… तू मेरे साथ हमेंशा ही गलत करता है। मैं दिन भर तेरा नाम लेता हूँ, तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपड़ी तोड़ दी। भगवान… इस गाँव में चोर-लुटेरे, बेईमान, झूठ बोलने वाले लोगों के मकानो को कुछ भी नहीं हुआ, बस मेरी घास की बनी झोपड़ी का नाश कर दिया तुमने।”

उसी समय दूसरा साधू अपनी उसी आधी बची हुई झोपड़ी को देखकर खुश होकर नाचने लगा और ईश्‍वर का धन्‍यवाद देते हुए कहने लगा कि, “भगवान… आप भी कितने दयालु हैं, कितने ही गांव वालों के पक्‍के मकान भी पूरे गिर गए, सैकड़ों गांव वालों की सारी फसल नष्‍ट हो गई, लेकिन आपकी हम पर कैसी कृपा है कि हमारे लिए आपने आधी झोपड़ी को ज्‍यों का त्‍यों रख दिया। आप बहुत दयालु हैं, आप महान हैं। अपने पुत्रों का आपसे बेहतर कोन ध्‍यान रखता है।

दूसरे साधू को ऐसे पागल की तरह हंसते-नाचते हुए देखकर पहला साधू पूछता है, “रे भाई, हमारी आधी झोपड़ी गिर गई है। हमारे रहने के लिए जो छोटी सी झोपड़ी थी, वह भी आधी टूट गई, इसमें क्‍या सही किया है?

दूसरे साधू ने जवाब दिया, “देखो तो सही, हमारी आधी झोपड़ी अभी भी सही-सलामत है। हम इसमें अभी भी रह सकते हैं।

शिक्षा : आप अपने जीवन में खुश रहेंगे या जीवनभर दु:खी रहेंगे, ये पूरी तरह से इसी बात पर निर्भर है कि आप आपके सामने आने वाली समस्‍याओं को किस तरह से देखते हैं। क्‍योंकि आप चाहें हंसकर स्‍वीकार करें अथवा रोकर, समस्‍या से छुटकारा तो उसका समाधान करने पर ही होगा न कि आपके हंसने या रोने से। इसलिए बेहतर यही है कि किसी भी समस्‍या को हंसकर स्‍वीकार करें और उसे हल करने की सकारात्‍मक कोशिश करें, न कि समस्‍या का रोना रोंऐं।

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#3 क्रोध का परिणाम

Motivational Success Stories in Hindi – राहुल बहुत ही गुस्‍सेल किस्‍म का लड़का था, उसे बिना बात के ही गुस्‍सा आ जाया करता था। एक दिन राहुल के पिता ने उसे काफी समझया की गुस्‍सा करने से केवल हानि होती हैं, लेकिन राहुल को कुछ समझ नही आया तो उसके पिता ने एक उपाय सोचा और राहुल को उसके पिता ने उसे ढेर सारी कीलें दी और कहा कि तुम एक काम करो जब भी तुम्‍हे क्रोध आए तो तुम एक कील घर के सामने लगे पेड़ में चुभो देना।

राहुल ने अपने पिता की बात को मान लिया और उसे जब भी गुस्‍सा आता वह एक किल जाकर उस पेड़ पर चुभा देता। पहले दिन राहुल को गुस्‍सा आया तो उसने उस पेड़ में 30 कीले चुभो दि इसी तरह राहुल को जब भी गुस्‍सा आता तो वह जाकर पहले पेड़ में कीले चुभाता और उसके बाद ही कुछ करता।

कुछ दिनों में ही राहुल को अपना गुस्‍सा धीरे-धीरे अपने आप नियंत्रण करना आ गया। उसे समझ में आने लगा कि पेड़ पर कीलें चुभाने से अच्‍छा है वह अपने गुस्‍से पर ही नियंत्रण करे क्‍योंकि उसे अब किल चुभाना ही Boring लगने लगा था। एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पेड़ में एक भी कील नहीं चुभोई और उसने यह बात अपने पिता को बताई।

पापा ने कहा, राहुल बेटा अब तुम वह सारी कीलों को पेड़ से वापस निकालो तुमको थोडी परेशानी होगी पर तुम ऐसा कर सकते हो।

राहुल ने बहुत ही कोशिशों के साथ उस पेड़ से सारी कीलें खींचकर बाहर निकाल दी और उन सारी कीलो को लेकर वापस वह अपने पिता के पास आया और कहा, पापाजी मैंने आपका दिया हुआ काम पूरा कर दिया।

राहुल के पापा राहुल को अपने साथ लेकर उसी पेड़ के पास गए और कहा चलो तुम्‍हे कुछ दिखाना है। पापा ने पेड़ की तरफ इशारा करते हुए राहुल से कहा, राहुल तुमने बहुत अच्छा काम किया लेकिन तुमने इस पेड़ को देखा है?

राहुल ने पेड़ के तने को ध्‍यान से देखा वह बहुत खराब लग रहा था, क्‍योंकि सैकडों कीलों के निशान बने हुए थे जो कि बहुत ही भद्दा दिख रहा था।

राहुल के पापा ने राहुल से कहा, बेटे तुम जब गुस्‍सा करते हो तो इसी निशान की तरह तुम्‍हारी छवि दूसरो के मन में बन जाती हैं और वह छवि दूसरो को बहुत भद्दी लगती हैं। तुम किसी पर गुस्‍सा करो और फिर हजारों बार माफी मांग भी लो तब भी तुम्‍हारी कडवी बाते तो उनके मन पर हमेशा निशान बनाए रखती हैं।

शिक्षा:- दोस्‍तो कभी भी ऐसा कोई कार्य न करो जिसके लिए तुम्हें पछताना पड़े। तुम अपने क्रोध को अपनी कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाओ।

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#4 रामदीन दर्जी का विश्वावस

Motivational Stories in Hindi – एक समय की बात है, राजा जनक अपने राज्‍य की प्रजा का हाल जानने के लिए अपने राज्‍य के दोरे पर निकले। घुमते हुए राजा जनक एक गांव में पहुचे वहां वे एक नादान बच्‍चे को गोद में उठाने के लिए निचे झुके तो उनके कुर्ते का एक बटन टूट कर गिर गया।  राजा जनक ने अपने सेना नायक से कहा, ‘’ सेना नायक मेरे कुर्ते का बटन टूट गया है आप पता कीजिए कि इस गांव में कोई दर्जी है क्‍या?’’

सेना नायक से कहा, महाराज इस गांव में केवल रामदीन नाम का एक ही दर्जी है। वह आपके कुर्ते में बटन लगा देगा। राजा जनक ने रामदीन को बुलवाया और अपने कुर्ते में बटन लगाने को कहा।

रामदीन ने बटन लिया और सुई-धागे की सहायता से राजा जनके के कुर्ते का बटन लगा दिया।

राजा जनक ने रामदीन दर्जी से पूछा कि कितना मेहनताना चाहिए इस कार्य के लिए। रामदीन ने सोचा चुंकि टूटा हुआ बटन राजा के पास ही था। मेंने तो केवल धागे और सुई का इस्‍तमाल किया है, तो महाराज से केवल दो रूपए ही मांग लेता हूं।

लेकिन रामदीन दर्जी मन में विचार करने लगा कि कहीं महाराज को यह न लगे कि केवल बटन लगाने के दो रूपए मांग रहा है, तो यह मेरी प्रजा को कितना लुटता होगा। यही विचार करके उसने भगवान का नाम लिए और राजा जनक से बोला।

महाराज आपको जो उचित लगे वह मेहनताना दे दीजिए।

राजा जनक ने अपने सेना नायक को आदेश दिया कि इस रामदीन दर्जी को पड़ोस का एक गांव मेहनताने के रूप दे दिया जाए। रामदीन को पूरा गांव मेहनताने के रूप में मिलने पर बहुत खुशी हुइ और रामदीन ने महाराज जनक का धन्‍यवाद दिया। ,

नोट:- जब हम सब कुछ भगवान के भरोसे छोड देते हैं, तो वह अपने अनुसार हमें देता है। जब हम भगवान से मांगते है तो कम मांगते है। शायद भगवना हमें उससे भी ज्‍यादा देना चाहता हो। इसलिए कहा  गया है भगवान अपने हिसाब से देने दो !

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#5 अगर EMail Address होता, …

Motivational Stories in Hindi – एक बेरोजगार व्‍यक्ति ने एक Insurance Company में Office Boy की नौकरी के लिए Apply किया। Company के Owner ने उस व्‍यक्ति का Interview लिया और उसे Office Boy की नौकरी के लिए Select कर लिया।

उसके बाद Owner ने कहा, “आप मुझे आपका Email Address दे दीजिए ताकि मैं आपके उस Email Address पर एक Application Form भेज देता हूँ। जब आप इस Office Boy की नौकरी को Join करना चाहो, तब इस Form को भरकर भेज देना।”

उस व्‍यक्ति ने कहा, ”Sir, मेरे पास Email Address नहीं है।”

Email Address नहीं है।” Owner ने बडे़ आश्चर्य से कहा।

“यदि आपके पास अपना Email Address भी नहीं है, तो आपको ये नौकरी नहीं मिल सकती। आप जा सकते हैं।”

उस व्यक्ति को Owner से इस तरह के प्रत्युत्तर की उम्मीद नहीं थी। इसलिए उसने भी आश्‍चर्यचकित होते हुए पूछा, ”क्‍यों‍ Sir? ”

Owner ने जवाब दिया, “आपके पास Email Address नहीं है, इसका मतलब यही है कि Modern Technology के अनुसार आपका कोई अस्तित्‍व ही नहीं है, और जिसका कोई अस्तित्‍व ही नहीं है, उसके लिए ये Job भी नहीं है।”

वह व्‍यक्ति दु:खी होकर उस Insurance Company के Office से बाहर निकला। उसे पता भी नहीं था कि उसे क्‍या करना है क्‍योंकि उसके पास केवल 1000/- रूपये थे। वह नुक्कड की एक चाय की दुकान पर पहँचा और चाय का ऑर्डर दिया। एक बूढ़े से व्‍यक्ति ने उसे चाय का कप लाकर दिया, जो कि उस चाय की दुकान का मालिक था। उसने चाय पी और काफी देर तक वहीं उदास सा बैठा रहा। उसे अपने आप पर काफी गुस्‍सा आ रहा था कि ईमेल जैसी मामूली से चीज उसके पास नहीं है, जिसकी वजह से आज उसे एक अच्‍छी नौकरी मिलते-मिलते रह गई। चाय की दुकान वाला वह बूढ़ा व्‍यक्ति उसे काफी देर से देख रहा था। आखिर वह उसके पास पहुँचा और सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए पूछा-

काफी उदास लग रहे हो, क्‍या मैं तुम्‍हारी कुछ मदद कर सकता हुँ? 

वह तो जैसे इस बात का इन्‍तजार ही कर रहा था कि कोई उससे पूछे और वो बता सके कि एक मामूली से EMail Address की वजह से एक अच्‍छी खासी नौकरी किस तरह से उसके हाथ से निकल गई। चाय वाले वृद्ध व्‍यक्ति ने उसकी सारी बात धैर्य से सुनी और अन्‍त में कुर्सी से उठते हुए कहा-

मैंने ये दुकान 50 साल की उम्र लगाई थी और इसे लगाने के लिए मैंने अपने एक मित्र से कुछ उधार लिया था, जिसे मैंने अगले 6 महीनों में ही

घर जाते वक्‍त रास्‍ते में उसने एक बूढ़े व्‍यक्ति को चाय बेचते हुए देखा। उसने अपने मन में सोचा, “जब ये बूढ़ा आदमी किसी दूसरे की गुलामी करने की बजाय अपना स्‍वयं का Business कर रहा है तो मैं क्‍यों किसी दूसरे की कंपनी में नोकरी करूँ।”

उसने उस 1000 रूपये से ही एक चाय की पत्‍ती बेचने की एक केबिन खोल ली और धिरे-धिरे उसकी इसी चाय की पत्‍ती बेचने से आमदनी भी होने लगी।

अपनी जीविका चलाने के लिए उसे यही काम अच्‍छा लगा और उसने धिरे-धिरे इसी को अपना Business बना लिया।

कुछ समय में ही उसका यह Business बहुत बढ़ गया और उसने एक दुकान और एक चाय का बागान भी खरीद लिया।

उसकी चाय की पत्‍ती की विदेशों में भी खूब माँग बढ़ गई थी और वह बहुत ही बड़ा International Retailer बन गया।

उसका Business बहुत बढ़ गया था इसलिए उसे अपने इस Business के लिए Insurance Policy लेने की इच्‍छा हुई और इसीलिए उसने एक Insurance Company को बुलाया।

उसी Insurance Company का Agent उस व्‍यक्ति के पास आया जिस कंपनी में वह व्‍यक्ति Office Boy की नौकरी करने के लिए गया था।

उस व्‍यक्ति ने जो सबसे सुरक्षित और महंगी Policy थी उसको Select कर लिया। उसके बाद Insurance Company के Agent ने उस व्‍यक्‍ति से Email Address माँगा तो उस व्‍यक्ति ने कहा, “Sir, मेरे पास Email Address नहीं है।”

Insurance Company का Agent उसके Business की Policy करके वापस अपनी Company में गया और उसने अपने Owner को उस व्‍यक्ति के बारे में बताया और फोटो दिखाते हुए कहा, “Sir, इसके पास Email Address भी नहीं है फिर भी ये इतना Famous, International Retailer है और अपने Business के लिए सबसे बड़ी Insurance Policy ली है। अगर इसके पास Email Address होता तो ये क्‍या होता?”

Insurance Company के Owner ने कहा, “अगर इसके पास Email Address होता तो यह मेरी इस Company का Office Boy होता।”

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