शेयर मार्केट का गणित

शेयर मार्केट का गणित कैसे काम करता है?

Author: Wiki Bharat Team

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शेयर मार्केट एक ऐसी दुनिया है जिसमें अधिकतम ट्रेडर और निवेशक शेयर मार्केट का गणित समझे बिना ही मार्केट में निवेश या ट्रेड करना शुरू कर देते है। यह आमतौर पर वह ट्रेडर होते है जिन्होने अभी – अभी स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखा है। तो अगर आप भी अपनी निवेश या ट्रेडिंग यात्रा की शुरुआत कर रहे है तो पहले आपको स्टॉक मार्केट गणित समझने कि आवश्यकता है जैसे कि शेयर मार्केट और कैसे काम करता है आदि। 

ज्यादातर नए लोग शेयर बाजार में करोड़पति बनने का विचार लेकर आते हैं। और अपना सारा पैसा शेयर बाजार में यही सोचकर लगाते हैं कि बहुत जल्दी ही अमीर बनने बाले है। इसी के चलते वह बिना किसी रिसर्च के गलत शेयर ले लेते है और ये उम्मीद करते है कि अव तो ये ऊपर ही जायेगा लेकिन जिस कंपनी में वह निवेश करते है वह लगातार गिरता रहता है और अपने पैसे को गंवा देते है। 

अगर आप चाहते है कि आप ये सब गलतीयां न हो, जो ज्यादातर लोग करते है तो आपको शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट कैसे काम करता है ये समझना होगा। इसलिए इस लेख में हम समझेंगे कि शेयर मार्केट का गणित क्या है और कैसे काम करता है। 

शेयर मार्केट का गणित क्या है? 

शेयर मार्केट का गणित का मतलव है कि एक निवेशक या ट्रेडर के रूप में समझना कि शेयर मार्केट कैसे काम करता है और यह समझना कि किसी भी स्टॉक का फंडामेंटल रिसर्च करने में किन – किन गणितीय फॉर्मूलो को इस्तेमाल किया जाता है?

स्टॉक मार्केट क्या है और कैसे काम करता है? इसे समझने के लिए आप हमारा यह लेख पढ़ सकते है…. 

#1 Probability – संभावना 

स्टॉक मार्केट को कोई भी Predict नहीं करता है कि अगले पल स्टॉक मार्केट में क्या होने वाला है, क्योंकि स्टॉक मार्केट संभावना पर चलता है इसलिए स्टॉक मार्केट का 100% कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है। 

Probability गणित का टॉपिक है जिसे आपने अपने 10वी कक्षा में पढ़ा होगा, इसलिए इस को समझना आसान है। एक Quote है “No One can Predict the Stock Market” इसलिए किसी भी स्टॉक की रिसर्च कर आप उसके फंडामेंटल और भविष्यों के लक्ष्यों के आधार पर सिर्फ अनुमान लगा सकते है कि वह स्टॉक कहा तक जा सकता है। 

#2 Financial Ratios – फाइनेंसियल रेश्यो 

फाइनेंसियल रेश्यो अनुभवी फाइनेंशियल विश्लेषकों द्वारा की जाने वाली एक प्रक्रिया है जो कंपनियों की प्रदर्शन को समझने में मदद करती है। इसके अलावा, यह निवेशकों को यह भी बताता है कि उन्हें कौन सी कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिससे उन्हें अधिक लाभ हो सकता है।

शेयर बाजार में अनेक फाइनेंसियल रेश्यों की जांच की जा सकती है, लेकिन हम उन रेश्यों की बात करेंगे जो किसी स्टॉक की बुनियादी तहत फंडामेंटल रिसर्च करने में मदद करते हैं।

Return On Assets (ROA) – रिटर्न ऑन एसेट

रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) एक प्रोफिटेबिलिटी मेट्रिक है जो कंपनी कि उस एफिशिएंसी को मापता है जिस पर एक कंपनी अपनी संपत्ति का उपयोग ज्यादा से ज्यादा नेट प्रॉफिट करने के लिए करती है। 

एक कंपनी का रिटर्न ऑन एसेट निकालने के लिए कंपनी के नेट प्रॉफिट को उसकी औसत कुल संपत्ति यानि एसेट से विभाजित (Devide) किया जाता है, जिसे आप नीचे फार्मूला में देख सकते है:

रिटर्न ऑन एसेट (ROA) = नेट प्रॉफिट / औसत कुल संपत्ति (Total Asset)

इसके अलावा, रिटर्न ऑन एसेट की गणना करने पर हमें इसकी वैल्यू प्रतिशत में मिलती है जो है हमें साल – दर – साल कंपनी अपने एसेट पर कितना नेट प्रॉफिट कर रही है यह दिखाती है और साथ ही अन्य कंपनियों से तुलना करने में भी मदद करता है। रिटर्न ऑन एसेट किसी भी कंपनी में निवेश से पहले देखा जाने बाला एक अहम पहलु है। 

Return On Capital Employed (ROCE) – रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड 

रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) एक फाइनेंसियल मैट्रिक्स है जो यह मापता है कि एक कंपनी प्रॉफिट  कमाने के लिए अपने पैसो का कितनी कुशलता से उपयोग कर रही है। 

दूसरे शब्दों में, यह रेश्यो दर्शाता है कि एक कंपनी नियोजित प्रत्येक रुपये से कितना प्रॉफिट अर्जित करती है। इस तरह से यह रेश्यो किसी कंपनी की प्रोफिटेबिल्टी और एफिशिएंसी का विश्लेषण करने में हमारी मदद करता है।

रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) = Earnings before interest and tax (EBIT) / Capital Employed

EBIT : यह कंपनी का वह प्रॉफिट होता है जो टैक्स और ब्याज को छोड़कर सभी खर्चो के बाद प्राप्त होता है। 

Capital Employed: Total Asset – Current Liabilities 

Return On Equity (ROE) – रिटर्न ऑन इक्विटी 

रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) शेयरधारकों द्वारा योगदान किए गए प्रत्येक डॉलर के इक्विटी निवेश पर कंपनी कितना नेट प्रॉफिट कर रही है ये मापने में मदद करता है। 

रिटर्न ऑन इक्विटी की गणना करने के लिए, नेट इनकम को शेयरधारक इक्विटी से विभाजित (Devide) किया जाता है। 

ROE जितना अधिक होगा, कंपनी का मैनेजमेंट उतना ही कुशल है कि वह अपनी इक्विटी फाइनेंसिंग से कंपनी की इनकम और ग्रोथ बढ़ा रहे है। 

रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) = नेट इनकम / औसत शेयरधारकों की इक्विटी

Price to Earnings Ratio (P/E) प्राइस टू अर्निंग रेश्यो 

प्राइस टू अर्निंग रेश्यो (P/E) कंपनी के शेयर प्राइस और प्रति शेयर आय (ईपीएस) के बीच का एक संबंध है। यह निवेशकों के बीच बहुत लोकप्रिय रेश्यो है जो निवेशकों को कंपनी के मूल्य की बेहतर समझ विकसित  है। 

अगर सरल शब्दों में कहे तो प्राइस टू अर्निंग रेश्यो यह बताता है कि एक कंपनी प्रति शेयर पर कितना रुपये कमा रही है। इस रेश्यो को सामान इंडस्ट्री की कंपनी से तुलना करने में इस्तेमाल कर सकते है। 

प्राइस टू अर्निंग रेश्यो (P/E) = वर्तमान शेयर प्राइस / प्रति शेयर आय  

Price to Book Value Ratio (P/B) – प्राइस टू बुक वैल्यू 

यह किसी कंपनी के बकाया शेयरों के कुल मूल्य और उसकी इक्विटी के बुक वैल्यू के बीच संबंध को दर्शाता है। पी / बी रेश्यो एक निवेशक के लिए एक बहुत ही अहम रेश्यो है जो निवेशकों को स्टॉक की सही कीमत प्राप्त करने के लिए कंपनी की नेट एसेट की तुलना उसकी कीमत से करता है।

अगर किसी निवेशक को अंडरवैल्यू स्टॉक खोजने है तो यह रेश्यो आपकी मदद कर सकता है… 

प्राइस टू बुक वैल्यू (P/B) = मार्केट कैपिटलाइजेशन / बुक वैल्यू ऑफ़ इक्विटी 

Debt to Equity Ratio – डेट-टू-इक्विटी रेश्यो 

डेट-टू-इक्विटी रेश्यो का उपयोग कंपनी की अपने दायित्वों आदि का भुगतान करने की क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। यडेट-टू-इक्विटी रेश्यो किसी विशेष कंपनी के समस्त स्वास्थ्य को दर्शाता है।

अधिक डेट-टू-इक्विटी रेश्यो

एक अधिक डेट-टू-इक्विटी रेश्यो वाली कंपनी अधिक जोखिम की ओर इशारा करती है। उदाहरण के लिए, 

यदि कोई अपने विकास के लिए मार्केट बहुत अधिक मात्रा में पैसा उधार ले रही है जिसे उस ब्याज देना है जिसकी बजह से कंपनी के खर्चे बढ़ जाये और कभी – कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी अपने ऊपर कर्ज को चूका नहीं  पाती है और बैंक्रप्ट हो जाती है। 

कम डेट-टू-इक्विटी रेश्यो

कम डेट-टू-इक्विटी रेश्यो का मतलब है कि कंपनी के शेयरधारकों की इक्विटी डेब्ट की तुलना में बहुत ज्यादा है, और इसे अपने व्यवसाय और विकास के संचालन के लिए किसी भी धन की आवश्यकता नहीं है। इसलिए प्रत्येक निवेश के लिए इस रेश्यो को देखना जरूरी हो जाता है कि वह कंपनी कितने कर्जे में है और वह कंपनी कर्ज चुका भी पायेगी या नहीं। 

हमें उम्मीद है कि आपको समझ आ गया होगा कि मार्केट का गणित क्या है और कैसे काम करता है लेकिन फिर भी अगर आपका कोई सवाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है।

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