Best Moral Story in Hindi: शक्ति का सही दुरूपयोग करना व्यक्ति के जीवन में बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर इसे सही दिशा में नहीं लिया जाए, तो यह हमें असफलता की ओर ले जाती है। हमारी आज की कहानी भी इसी सीख पर आधारित है – “शक्ति का दुरूपयोग है असफलता का कारण”। इस कहानी में हमें एक व्यक्ति का सामना होता है जो अपनी शक्ति का गलत तरीके से उपयोग करता है और फिर उसे अपनी गलतियों पर पछताना पड़ता है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम अपनी शक्तियों का सही रूप से उपयोग करते हैं और उन्हें सकारात्मक क्षेत्रों में लगाते हैं, तो हम सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं। कहानी के माध्यम से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें हमेशा ईमानदारी से और सही तरीके से काम करना चाहिए, ताकि हम अपनी शक्तियों का सही दिशा में उपयोग कर सकें और सफलता की सीढ़ीयों को चढ़ सकें।

Best Moral Story in Hindi

Best Moral Story in Hindi: एक घने जंगल में एक प्रसिद्ध ऋषि रहते थे जिनकी विशेषता ये थी कि उनके सामने जो भी खडा होता था, वे उसके मन की बात जान जाते थे।

प्रतिदिन पास जंगल के सभी जानवर ऋषि के पास अध्‍यात्मिक उपदेश सुनने के लिए आते थे और ऋषि उन्‍हे जीवन की अच्‍छी बातें बताते थे। उसी जंगल में एक छोटा सा चूहा भी रहता था। वह चूहा भी प्रतिदिन उस ऋषि के उनके उपदेश सुनने के लिए जाता था और हर रोज ऋषि के लिए जंगल से किसी न किसी तरह का कोई फल लेकर आता था, जिसे ऋषि बडी ही खुशी से स्‍वीकार करते थे।

एक दिन जब चूहा जंगल में घूमते हुए ऋषि के लिए जामुन इकट्ठा कर रहा था तभी उस एक बिल्‍ली हमला कर देती है। बिल्‍ली द्वारा चूहे पर हमला करने के कारण चूहा डर जाता है और तेजी से दौडते हुए सीधे ऋषि के आश्रम चला जाता है तथा पहुँचते ही कांपती आवाज में ऋषि काे बिल्‍ली के हमले से सम्‍बंधित बात बताता है। इसी बीच वह बिल्‍ली भी उस ऋषि के आश्रम पहुँच जाती है और ऋषि से अपना शिकार वापस लेने के लिए अनुमति देने का आग्रह करती है।

चूंकि चूहा आश्रम में ऋषि की शरण में आ जाता है, इसलिए ऋषि बिल्‍ली को इस बात की अनुमति नहीं दे सकता क्‍योंकि शरण में आए हुए की रक्षा करना किसी का भी परम धर्म है फिर चाहे रक्षा करने हेतु स्‍वयं के प्राणों की आहुति क्‍यों न देनी पडे जबकि एक जीव दूसरे जीव का भोजन होता है, इसलिए यदि ऋषि, बिल्‍ली को चूहा नहीं सौंपता, तो ये एक तरह से बिल्‍ली का भोजन छीनने जैसी बात होती है और किसी का भोजन छीनना भी एक प्रकार का पाप है।

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इसलिए इस धर्म-संकट से निकलने हेतु ऋषि कुछ क्षण सोचते रहे और फिर अपनी दिव्‍य शक्तियों से उस चूहे को एक बडी बि‍ल्‍ली में बदल देते हैं। परिणामस्‍वरूप जो बिल्‍ली उस चूहे के पीछे भागते हुए आश्रम अाई थी, अपने सामने अपने से बडी बिल्‍ली देखकर भाग जाती है, जिससे चूहे के प्राणों की भी रक्षा हो जाती है और ऋषि को बिल्‍ली का भोजन छीनने का पाप भी नहीं करना पडता।

लेकिन अब एक अलग तरह की समस्‍या पैदा हो जाती है, क्‍योंकि वह चूहा अब चूहा न होकर बिल्‍ली हो गया था इसलिए अब वह लापरवाहों की तरह रहने लगता है। उसे लगता है कि अब उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड सकता और यही सोंच कर वह जंगल में एक बडी बिल्‍ली की तरह घूमता-फिरता है और जब भी मौका मिलता है, वह अन्‍य छोटे जानवरों को डराने के लिए जोर-जोर से म्‍याऊ-म्‍याऊ करने लगता है तथा अन्‍य बिल्लियों से अपना बदला लेने के लिए उनसे लडने लगता।

चूंकि वह चूहा काफी लापरवाह हो गया था, इसलिए वह एक तरह से भूल ही गया था कि उस जंगल में उससे बडे जानवर भी रहते हैं और इसी के परिणामस्‍वरूप एक दिन उस बिल्‍ली रूपी चूहे पर एक लोमडी झपट्टा मारती है। वह चूहा फिर से अपनी जान बचाकर डर के मारे तेजी से भागते हुए ऋषि के आश्रम पहुंचता है जहां पीछे-पीछे लोमडी भी पहुंच जाती है और पहले की तरह ही उस बडी बिल्‍ली को खाने हेतु उसे सौंपने के लिए ऋषि से प्रार्थना करने लगती है।

ऋषि फिर से धर्म संकट में पड जाता है और उसने फिर से वही करता है जो पहले किया था यानी इस बार वह उस चूहे को अपनी दिव्‍य शक्तियों का प्रयोग कर एक बडी लोमडी में बदल देता है जिसे देखते ही वह लोमडी भाग भाग जाती है जो उसे पकडने ऋषि के आश्रम तक आई थी।

अब वह लोमडी रूपी चूहा फिर से जंगल में घूमने लगता है और पहले फिर से जैसे ही लापरवाहों की तरह रहने लगता है, बल्कि अपने से छोटे जानवरों पर और ज्‍यादा अत्‍याचार करने लगता है क्‍योंकि उसे लगता है कि उससे ज्‍यादा ताकतवर जानवर और कोई हो ही नहीं सकता। तभी एक दिन एक बाघ उस लाेमडी रूपी चूहे पर झपट्टा मारता है। वह चूहा फिर से किसी तरह से अपनी जान बचाते हुए भागते-भागते ऋषि के आश्रम में आ पहुँचता है जहां पहले की तरह ही इस बार बाघ भी उसके पीछे-पीछे वहीं पहुँच जाता है तथा ऋषि से लोमडी को सौंपने की प्रार्थना करता है।

ऋषि फिर धर्म-संकट में पड जाता है और फिर से धर्म-संकट से निकलने के लिए उस लोमडी रूपी चूहे को एक बडे बाघ में बदल देता है। फलस्‍वरूप अपने सामने अपने से बडा बाघ देखकर वह बाघ, जो उस लोमडी रूपी चूहे को पकडने आया था, भाग जाता है।

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अब वह चूहा बाघ के रूप में बदल जाने के कारण अपने आप को उस जंगल का सबसे अधिक ताकतवर जानवर समझने लगता है और फिर से उस जंगल में घूमने के लिए जाता है, अनावश्‍यक रूप से अपने से छोटे जानवरो को डराता है और अत्‍यधिक अत्‍याचारी हो जाता है, और क्‍योंकि ऋषि केवल उसी के मन की बात समझ सकता है, जो उसके सामने हो, इसलिए ऋषि को पता ही नहीं होता कि वह चूहा कितना अत्‍याचारी हो गया है।

वह बाघ रूपी चूहा जंगल का महाराजा तो बन जाता है परंतु उसे एक चिंता हमेशा परेशान करके रखती है कि किसी दिन यदि उस ऋषि को पता चल गया कि वह जंगल का राजा बन कर अन्‍य जीवों के साथ कैसा दुर्व्‍यवहार करता है, अथवा यदि किसी भी अन्‍य जानवर ने उसकी शिकायत उस ऋषि से कर दी तो वह ऋषि उसे फिर से चूहा बना देगा और तब जंगल के ये सभी जानवर, जिन्‍हें उसने परेशान किया है, उसे जीवित नहीं छोडेंगे।

इसलिए उसके मन में विचार आता है कि यदि उस ऋषि को ही मार दिया जाए, तो फिर से चूहा बनने का डर हमेंशा के लिए खत्‍म हो जाएगा और ये बात सोंचकर वह ऋषि को मारने के लिए आश्रम पहुंचा। लेकिन जैसे ही वह बाघ रूपी चूहा, ऋषि के सामने पहुंचा, ऋषि उसके मन की बात समझ गया और अपनी दिव्‍य शक्तियों से तुरन्‍त उसे फिर से चूहा बना दिया और जैसे ही वह फिर से चूहा बना, उसे अपनी मृत्‍यु दिखाई देने लगी क्‍योंकि जितना अत्‍याचार उसने अन्‍य जीवों पर किया था, उसके बदले वे जीव उसे जीवित छोडने वाले नहीं थे और जिस उद्देश्‍य से वो ऋषि के आश्रम में आया था, उसे जानने के बाद ऋषि भी उसे फिर से बडा जानवर बनाने वाले नहीं थे।

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इस कहानी से हमें कई शिक्षाऐं मिलती हैं।

पहली: कभी भी किसी को भी आवश्‍यकता से अधिक शक्ति नहीं देनी चाहिए और यदि दी जाए, तो उद्देश्‍य पूरा होते ही उससे वे शक्तियां यथासम्‍भव तुरन्‍त ले लेनी चाहिए, अन्‍यथा जिसे शक्तियां दी जाती हैं, अक्‍सर वह उन शक्ति देने वाले को ही सबसे पहले नुकसान पहुंचाता है, जैसा कि वह चूहा उस ऋषि को ही जान से मारने के लिए पहुंच गया था, जिसने उसे बडे जानवर में बदलकर शक्तिशाली बनाया था।

दूसरी: जो शक्ति देता है, यदि वो समझदार हो, तो अन्तिम Control अपने पास ही रखता है और जब जरूरत पडती है, उस अन्तिम Control से सारी शक्तियां ले भी सकता है, जैसा कि ऋषि ने किया। लेकिन यदि ऋषि के पास लोगों के मन की बात जानने की Extra Ability न होती, तो उस स्थिति में वह चूहा उस ऋषि को जरूर मार देता। इसीलिए देने वाले को अन्तिम Control हमेंशा अपने पास ही रखना चाहिए, ताकि जब जरूरत पडे, वह अपनी शक्तियां फिर से ले सके।

तीसरी: जब शक्ति मिलती है, तो और अधिक विनम्र होने की जरूरत होती है क्‍योंकि अधिक शक्ति के साथ ही अधिक जिम्‍मेदारियां भी आती हैं। यदि वह चूहा शक्तिशाली बनने के बाद अन्‍य छोटे जानवरों की रक्षा करता, न कि उन पर अत्‍याचार करता, तो उस स्थिति में उसके मन में कभी भी ऋषि को मारने का खयाल न आता और यदि वह ऋषि को मारने न जाता, तो वह हमेंशा शक्तिशाली बना रहता क्‍योंकि उस स्थिति में ऋषि कभी भी उसे फिर से चूहा नहीं बनाता।