आज के इस नए ब्लॉग में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,  आज हम आपके साथ हिंदी में ऐसी छोटी प्रेरणादायक कहानियाँ (Short Motivational Stories in Hindi) साझा करेंगे, जो आपके जीवन में उत्साह भरने का काम करेंगी। 

यह जीवन कभी-कभी हमें नीचे लाने की कोशिश करता है, जिससे कभी – कभी हमारी मोरल भी डाउन हो जाता है और हम हताश हो जाते है और भगवान्ले को याद कर कहते है कि मेरा जीवन ऐसा क्यों है। यह कहानियां हमें फिर से उठने और जीने की प्रेरणा दे सकती है इसलिए यहां हमने कुछ ऐसी हिंदी कहानियाँ इकट्ठा की हैं जो आपके मोरल, मनोबल और सोच को बदलने में आपका साथ देंगी।

इन प्रेरणादायक कहानियों में प्रत्येक कहानी एक अद्भुत संदेश लेकर आती है जो हमें समय के साथ आत्मविश्वास और पॉजिटिव रहने में मदद करेगी। 

Best Short Motivational Stories in Hindi 

यह Short Motivational Stories in Hindi ब्लॉग आपको अपार मनोरंजन के साथ-साथ जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इन कहानियों को पढ़कर आप जीवन में सफलता की ओर अग्रसर रहने के लिए प्रेरित होंगे।

#1 अपने आपको जाँचना भी जरुरी है। 

Short Motivational Stories in Hindi – एक लड़के ने Medical Store पर फोन किया और Medical Store वाले से पूछा, ”क्‍या आप मुझे अपनी दुकान पर Computer Operator की नौकरी दे सकते हैं?”

दुकानदार ने उस लड़के को जवाब दिया, ”माफ करना, लेकिन मेरे पास उस काम को करने के लिए पहले से ही एक लड़का है।”

लड़के ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, ”मैं Computer Operator की नौकरी के साथ ही आपकी दवाईयां लोगों के घरों में भी Supply कर दिया करुंगा।”

दुकानदार ने मना कर दिया और कहा कि मेरे पास काम करने वाला लड़का ही मेरे लगभग सारे काम को कर देता हैं इसलिए मुझे किसी और की जरूरत नहीं है।

जहां से उस लड़के ने फोन लगाया था उस STD का मालिक उसकी सारी बातो को सुन रहा था।

जब लड़के ने अपना Phone Cut किया और खुशी-खुशी जाने लगा तो, STD Owner ने उसे रोककर पूछा, ”क्‍या हुआ, लड़के तुम्‍हे नौकरी मिल गई?”

लड़के ने जवाब दिया,”नहीं।”

STD Owner  ने कहा,  तुम बहुत ही मेहनती और Positive Type के लड़के हो,  तुम्हे तो Computer का भी ज्ञान है, अगर तुम चाहो तो तुम मेरे पास नौकरी कर सकते हो।

उस लड़के ने STD Owner से कहा, ”नहीं धन्‍यवाद, मैं पहले से ही किसी के पास नौकरी  करता हूं।”

आर्श्‍चय से STD Owner ने उस लड़के से पूछा, ”जब तुम पहले से ही नौकरी कर रहे हो तो तुम उस दुकानदार से नौकरी कि बात  क्‍यों कर रहे थे?”

लड़के ने कहा, ”मैंने जिस Medical Store पर Phone किया था, उसी Medical Store पर मैं नौकरी  करता हूँ, लेकिन मैं यह जानना चाहता था कि क्‍या मेरी Performance से वे खुश हैं भी या नहीं।”

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए और अपना मूल्य जानना चाहिए। हमें हमेशा बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करना चाहिए और अपनी प्रगति का आकलन करते रहना चाहिए।

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#2 कपड़ों को न्योता

Short Motivational Stories in Hindi – राजनगर में धनीराम नाम का एक धनवान सेठ रहता था। सेठ के एक पुत्र था जिसका नाम मंगल था। उस सेठ की नगर में एक बहुत ही बड़ी हवेली थी। कहीं भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी, लेकिन सेठ के पुत्र मंगल के कोई संतान नही थी। धनीराम ने मंदिरो-मस्जिदों में बड़ी मिन्‍नते की।

एक दिन भगवान ने धनीराम की सुन ली और मंगल पिता बन गया। धनीराम ने दादा बनने की खुशी में एक भव्‍य भोज का आयोजन किया जिसमें सभी नगर वालों को न्‍योता भेजा गया। उसमें एक न्‍योता रामसुख को भी भेजा गया। रामसुख नगर का व्‍यापारी था, लेकिन कार्य की व्‍यस्‍तता इतनी ज्‍यादा थी कि वह अपने कपड़ो तक का ध्‍यान नहीं रख पाता था।

कोई अनजान व्‍यक्ति अगर रामसुख को एक नजर देख ले, तो उसे लगता कि रामसुख व्‍यापारी हो ही नहीं सकता। कोई भी एक नजर में देख कर रामसुख को नौकर ही समझ लेता था।

रामसुख को जब यह खबर मिली कि धनीराम ने दादा बनने कि खुशी में भव्‍य भोज का आयोजन किया है तो वह वैसी ही स्थिति में भोज में जा पहुँचा जैसा वह था।

धनीराम ने जब देखा तो रामसुख से पूछा, “रामसुख… यह क्‍या पहन कर आए हो। तुम्‍हे मालुम नहीं है क्‍या? मेरे दादा साहब बनने की खुशी में भोज का आयोजन किया गया है, और तुम तो भिखारी के वेश में ही यहाँ आ गए। यहाँ आए लोग जब तुम्‍हे इस तरह से देखेंगे तो यही कहेंगे कि मैंने भिखारियों को भी न्‍योता भेजा है। उनके मान-सम्‍मान का क्‍या होगा?

रामसुख ने कहा, “नहीं… नहीं धनीराम, तुम दादा बने हो, इस खुशी में ध्‍यान ही नहीं रहा कि मैं कहाँ जा रहा हूँ। मैं तो तुम्‍हे बधाई देने आया था, इसलिए कपड़ों का ध्‍यान ही नहीं रहा लेकिन कपड़ो से क्‍या फर्क पड़ता है?

धनीराम ने रामसुख से कहा, “फर्क पड़ता है, क्‍योंकि यहाँ तुम अकेले ही नहीं आए हो और भी लोग है जो मुझे दादा बनने कि बधाई देने आए है।

रामसुख दु:खी मन से भोज से चला गया और अपने घर आकर उसने अपनी जरीदार कोट पहनी उस पर रेशमी दुप्‍पटा डाला और ऊँची पगड़ी पहन कर फिर से भोज में गया जहाँ भव्‍य भोज चल रहा था। वहाँ जाकर भोजन करने लगा। सबसे पहले रामसुख ने अपने दुप्‍पटे को खीर में भिगाया और बाद में अपनी जेब में मालपुए भरने लगा। कुछ देर बाद ही खीर का कटोरा लेकर उसने अपने ऊपर उड़ेल लिया।

यह देख कर धनीराम आया और रामसुख से पूछा, “रामसुख… यह क्‍या कर रहे हो तुम? पागलों की तरह हरकत करते हुए अपने कपड़े क्‍यों गंदे कर रहे हो?

रामसुख ने धनीराम से कहा, “सेठजी… आपने मुझे थोडे ही न्‍योता दिया था। आपने तो इन कीमती कपड़ों को न्‍योता दिया था तो मैं इन्‍ही को भोजन करा रहा हूँ।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

यह कहानी हमें सिखाती है कि, कपड़ों से किसी व्यक्ति का चरित्र या मूल्य नहीं आंका जा सकता। सच्चा सम्मान, व्यक्ति के व्यवहार और चरित्र पर आधारित होता है, उसके कपड़ों पर नहीं।

इसके अलावा, कहानी हमें यह भी सिखाती है कि, क्रोध और ईर्ष्या कभी भी सही समाधान नहीं होते। हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए, चाहे वे अमीर हों या गरीब।

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#3 अपना काम जारी रखें 

Short Motivational Stories in Hindi – एक छोटा सा गांव था जहां लगभग सभी लोग किसान थे। वे सभी खेती-बाडी करते हुए सुख व समृद्धि के साथ अपना जीवनयापन करते थे क्‍योंकि अपनी थोडी सी जमीन में भी अच्‍छा अनाज उगा लेते थे और वे ऐसा इस‍ीलिए कर पाते थे क्‍योंकि उस गांव के किसान काफी जागरूक थे और उनकी पहुंच रेडियो, टीवी व Internet तक थी, जिसके माध्‍यम से वे कृषि विभाग के सम्‍पर्क में रहते थे और किसानों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं व सुविधाओं को बेहतर तरीके से उपयोग में लेते थे।

चूंकि गर्मी का महिना बीत रहा था और बारिश का मौसम आने की तैयारी में था, इसलिए सभी किसान अपनी-अपनी जमीन की Quality व सुविधा के अनुसार फसलें बौने की तैयारी करने लगे और इस तैयारी में धीरे-धीरे समय बीतता गया। 

यहां तक कि बारिश के मौसम का भी एक महीना चला गया। परिणामस्‍वरूप अब किसानों में थोडी चिन्‍ता पैदा होने लगी कि इस साल बारिश की क्‍या स्थिति रहेगी। बारिश होगी या नहीं और होगी तो कब, इस बात का पता लगाने के लिए सभी गांव वालों ने कृषि विभाग से सम्‍पर्क करने का निश्‍चय किया।

कृषि विभाग से सम्‍पर्क करने पर उन्‍हें पता चला कि इस साल उनके गांव व आस-पास के कई गांवों में बारिश होने की कोई सम्‍भावना नहीं है। ये बात जानकर सभी किसान काफी दु:खी हुए लेकिन उस गांव के किसान काफी सम्‍पन्‍न थे, इसलिए ज्‍यादातर किसानों ने निश्‍चय किया कि इस बार बारिश होने की सम्‍भावना नहीं है इसलिए बीज व खाद खरीदने में अपने संचित धन को व्‍यर्थ नहीं करेंगे बल्कि अगली बारिश का इन्‍तजार करेंगे।

परंतु उस गांव के एक किसान ने इन सारी बातों को अनसुना कर दिया और शहर जाकर बीज व खाद खरीद लाया तथा ठीक उसी तरह से फसल बौने की तैयारी करता रहा, जैसे कि बारिश आने ही वाली हो। वह अपने खेत में पहले की तरह ही रोज सुबह-सुबह चला जाता और खेती से सम्‍बंधित जो भी जरूरी काम होते, उन्‍हें करता रहता।

उस किसान की ये हरकत जल के देवता इन्‍द्र को भी काफी अटपटी लगी कि आखिर जब सारा गांव चुपचाप घर बैठ गया है, तो ये अकेला किसान क्‍यों बुआई जुताई में अपना समय व्‍यर्थ कर रहा है, जबकि कृषि विभाग सही है कि इस साल बारिश नहीं होगी। परिणामस्‍वरूप इन्‍द्र ने साेंचा कि इस सवाल का जवाब तो केवल वह किसान ही दे सकता है। इसलिए अपना भेष बदलकर भगवान इन्‍द्र उसी गांव के एक किसान के रूप में उस किसान के पास आए और पूछा कि:

“जब इस वर्ष अकाल घोषित हो गया है और सारा गांव अपने घर पर ही मजे कर रहा है, तो तुम खेत में काम करने क्‍यों आते हो?”

इस सवाल के जवाब में किसान ने उत्तर दिया कि:

“अगर इस वर्ष भी अकाल घोषित होने के कारण मैंने अपना काम करना बन्‍द कर दिया, तो ऐसा हो सकता है कि अगले वर्ष मैं खेती से सम्‍बंधित किसी काम को करना भूल जाउं और उस भूल के कारण अगले साल होने वाली मेरी उपज भी प्रभावित हो जाए। इसलिए बेहतर यही है कि मैं मेरा काम करता रहूं। कम से कम मैं मेरा काम करना तो नहीं भूलूंगा”

किसान कि ये बात सुनकर इन्‍द्र देव को लगा कि अगर मैं भी इस वर्ष वर्षा नहीं करूंगा तो हो सकता है कि अगले साल मैं भी अपना काम यानी वर्षा करना भूल जाउं, जो कि सारे संसार के लिए काफी बुरी स्थिति हो सकती है। परिणामस्‍वरूप इन्‍द्र देव उस किसान की बात से प्रसन्‍न हुए और दूसरे ही पल वर्षा होने लगी।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

यह कहानी हमें सिखाती है कि बहरे मेंढक की तरह किसी दूसरे के कहने मात्र से कभी भी अपने काम को नहीं छोडना चाहिए, भले ही उस काम से लाभ होने की सम्‍भावना कम से कम क्‍यों न हो क्‍योंकि जिस काम को आप परफेक्ट तरीके से कर सकते हैं, उस काम से यधपि किसी दिन लाभ होने की सम्‍भावना कम हो, लेकिन हानि होने की तो कोई सम्‍भावना नहीं होती।

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#4 कभी न भरने वाला स्‍वर्ण कलश 

Short Motivational Stories in Hindi – एक समय एक सैनिक घने जंगल से जा रहा था। सैनिक बहुत ही लालची था। वह जिस किसी स्‍थान पर जाता, वहाँ अपने राजा का नाम लेकर कहता कि, “राज्‍य के खजाने में धन की कमी हो गई है। इसलिए राजा के आदेशानुसार आप गाँव वाले जो कुछ भी राज खजाने में कर के रूप में देना चाहें, दे सकते हैं। इससे आप लोगो का ही भला होगा।

गाँव के लोग भोले-भाले थे। इसलिए वे उस सैनिक की बात मान कर अपने घर में जो कुछ होता, वही लाकर उस सैनिक को सोंप देते।

सैनिक के दिन बडे ही मजे से कट रहे थे। एक दिन वह सैनिक किसी दूसरे गाँव जा रहा था कि अचानक उसे जंगल के बीच एक आवाज सुनाई दी।

“रूक जाओ, रूक जाओ।”

सैनिक आवाज सुनकर थोड़ा घबरा गया लेकिन फिर भी उसने अपने चारों ओर देखा, तो उसे वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। कुछ देर बाद सैनिक को फिर वही आवाज सुनाई दी।

“रूक जाओ, रूक जाओ।”

अब सैनिक थोड़ा और घबरा गया परन्‍तु हिम्‍मत कर के उसने चारों और देखा। तभी एक यक्ष दिखाई दिया जो कि पेड़ के ऊपर बैठा था। यक्ष ने सैनिक से कहा, “ऐ सैनिक, तुम जिस पेड़ के नीचे से अभी-अभी गुजरे हो, उसकी जड़ में सात कलश रखे हुए हैं। उन कलशों में से एक को छोड़ बाकी सभी में स्‍वर्ण है। अगर तुमको ये स्‍वर्ण चाहिए तो एक काम करना पड़ेगा।

सैनिक तो लालची था ही, सो उसने यक्ष से पूछा कि, “मुझे क्‍या करना होगा?

यक्ष ने कहा, “तुमको स्‍वर्ण से भरे छ: कलशों के साथ वह सातवां कलश भी अपने सा‍थ ले जाना होगा, जो आधा खाली है। उस सातवे कलश को स्‍वर्ण से भरना होगा, और अगर तुम सातवा कलश भरने में नाकाम रहे, तो जो स्‍वर्ण तुमने इसमें भरा होगा वह भी तुम्‍हे नहीं मिलेगा।

सैनिक यक्ष की बात मान गया और सातों कलश घर ले आया व अपनी पत्नि से कहा कि, “अगर हम ये सातों कलशों को स्‍वर्ण से भर देंगे तो ये सातों कलश हमारे हो जाऐंगे।”

सैनिक की पत्नि ने सैनिक से कहा, “आप राजा के सैनिक है, आपको दूसरो को कष्‍ट दे कर धन नहीं लेना चाहिए। आपको तो दूसरों की सहायता करनी चाहिए। वैसे भी हमारे पास तो सब कुछ पहले से ही है। हमें लालच नहीं करना चाहिए। आप यह कलश वापस रख आए।

लेकिन सैनिक ने अपनी पत्नि की एक न सुनी बल्कि अपने घर में रखे सारे स्‍वर्ण लेकर आ गया और उस आधे कलश को भरने लगा, परन्‍तु वह कलश तो खाली का खाली ही रह गया।

सैनिक को इस बात का बड़ा आश्‍चर्य हुआ कि यह सातवां कलश भर क्‍यों नहीं रहा है। इसलिए वह सातों कलशों को वापस उस पेड़ के पास ले गया जहाँ वह यक्ष रहता था और यक्ष को पुकार कर पूछा कि, “ऐ यक्ष… ये सातवां कलश तो भरने का नाम ही नहीं ले रहा है। मैंने अपने घर का सारा स्‍वर्ण इसमें भर दिया है, लेकिन यह कलश अभी भी खाली का खाली क्‍यों है?

यक्ष जोर से हंसकर बोला, “अरे मूर्ख सैनिक… यदि इन कलशों का स्वर्ण पाना इतना आसान होता, तो ये यहाँ पर कैसे रह पाते? इन्‍हे खोल कर देख इन सभी छ: कलशों में पीतल भरा है और जिस आ‍धे कलश को तू भरने की कोशिश कर रहा है, वह तेरा लालची दिमाग है, जो कभी नहीं भर सकता और जो स्‍वर्ण तूने इसमें भरा है, वह भी लालच का सौदा है, जिसे तू हार गया है।

यक्ष की यह बात सुनकर सैनिक बड़ा दु:खी हुआ क्‍योंकि उसका स्‍वयं का संग्रह किया गया स्‍वर्ण भी उसने गंवा दिया था।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

इस कहानी से हमें लालच न करने की सीख मिलती है। लालच हमें गलत काम करने के लिए प्रेरित करता है और हम गलत रास्ते पर चले जाते हैं। लालची व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं रहता और हमेशा और अधिक चाहता है।

इस कहानी में, सैनिक लालच में आकर यक्ष के कलश भरने की कोशिश करता है, लेकिन असफल रहता है और अपना सारा धन भी गंवा देता है।

इसलिए हमें हमेशा ईमानदारी और संतोष से जीवन जीना चाहिए। हमें लालच से दूर रहना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।

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#5 डंक और जाला

Short Motivational Stories in Hindi – सुरामल नाम का एक राजा था। एक दिन उसने अपने सेनापति को आदेश दिया कि वह इस राज्य में इस बात की खोज करे कि कौन-कौन से जीव-जंतु काम के हैं और कौन से काम के नहीं है।

सेनापति को राजा के इस आदेश पर बड़ा आश्‍चर्य हुआ, लेकिन राजा का आदेश था, सो मानना तो था ही।

सेनापति ने कुछ दिन खोज करने के बाद राजा को आकर कहा, “महाराज… इस देश में केवल ‘मक्खी और मकड़ी’ दो ही ऐसे जीव हैं, जो बिल्‍कुल काम के नहीं है।

राजा ने कुछ सोंच कर आदेश दिया कि, “इन मकड़ी और मक्खियों को मार दिया जाए क्‍योंकि इनसे राज्‍य को कोई फायदा नही है।

सुरामल के सैनिकों ने राज्य की सारी मकड़ी और मक्खियों को मारना शुरू कर दिया। उसी दौरान दूसरे राज्‍य के राजा ने सुरामल के राज्य पर आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में सुरामल की हार हो गई। सुरामल के महल पर शत्रु सैना का अधिकार हो गया और सुरामल किसी तरह से अपनी जान बचा कर अपने राज्‍य से भाग निकला लेकिन शत्रु सैनिक अभी भी सुरामल का पीछा कर रहे थे। भागते-भागते सुरामल शत्रु सैनिकों से काफी आगे निकल गया। वह अत्‍यधिक थक गया था, इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ आराम करने लगा।

अत्‍यधिक थका हुआ होने की वजह से बैठते ही सुरामल को गहरी नींद आ गई। तभी एक मक्खी ने सुरामल की नाक पर डंक मारा जिससे सुरामल राजा की नींद खुल गई और अचानक उसे ख्याल आया कि, “खुले में ऐसे सोना सही नहीं होगा। मुझे कोई सुरक्षित जगह खोजनी होगी, जहाँ शत्रु सैनिक पहुँच न पाए और मैं छिप कर वहां रह सकुं।” ऐसा सोंचते हुए सुरामल एक गुफा में जा छिपे।

सुरामल राजा जिस गुफा में छिपे, वहां मकड़ियों ने गुफा के द्वार पर घना जाला बना दिया। शत्रु राजा के सैनिक आए और सुरामल को इधर-उधर खोजते हुए गुफा के पास तक पहुंचे लेकिन गुफा के द्वार पर घना जाला देखकर सैनिक एक-दूसरे से बात करने लगे कि, “हो सकता है, सुरामल यहाँ आया ही न हो क्‍योंकि अगर वह यहाँ आया होता तो इस गुफा में छुपता और अगर इस गुफा मैं छिपता तो यह जाला नष्ट हो जाता।” यही सोंच कर शत्रु सैनिक वहाँ से चले गए और सुरामल की जान बच गई।

राजा को समझ में आ गया था कि दुनिया में कोई भी प्राणी या वस्तु बेकार में नहीं है। हर चीज की एक कीमत है और प्रत्‍येक का अपना अलग उपयोग है। सुरामल को अपने किए हुए पर बड़ा पछतावा हो रहा था क्‍योंकि मक्‍खी व मकड़ी ही वे जीव थे, जिन्‍हें सुरामल ने केवल इसलिए मारने का आदेश दे दिया था क्‍योंकि उन्‍हें लगता था कि ये जीव उनके राज्‍य के लिए किसी काम के नहीं हैं, जबकि उन्‍हीं की वजह से राजा की जान बच सकी थी।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

यह कहानी हमें सिखाती है कि दुनिया में कोई भी प्राणी या वस्तु बेकार नहीं है। हर चीज का अपना महत्व होता है और हर जीव का अपना योगदान होता है। हमें किसी भी प्राणी को छोटा या नकारात्मक नहीं समझना चाहिए।

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