Hindi Story for Kids: यह कहानी न केवल रोचक है, बल्कि बच्चों को बुद्धिमानी और समस्याओं का सामना कैसे करना चाहिए, उसकी सीख भी प्रदान करती है।
दो कंकड़ों की अद्भुत दुनिया में जीया के साथ हम सभी नए सीख और ज्ञान की ओर बढ़ेंगे। हम देखेंगे कि कैसे छोटी सी समस्याएं बड़े होते समय में कैसे नये समाधानों में बदल जाती हैं। आइए, हम सभी मिलकर इस कहानी (Hindi Story for Kids) के माध्यम से बच्चों को एक बेहतर सीख दें और उन्हें जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करें।
दो कंकड़ और किसान पुत्री की बुद्धिमानी
Moral Stories for Children in Hindi- हमें मानव जन्म मिला है और इसके साथ ही हमारी ज़िंदगी में कोई न कोई समस्या बनी ही रहती है। ज़िंदगी के हर रास्ते पर हमारा सामना अनेकों समस्याओं से होता रहता है। समस्या के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
अचानक ही हमारे सामने कोई समस्या आ जाए तो हम उसके सामने हार मान लेते है और हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे समस्याओं का पहाड़ टूट पढ़ता है।
उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ लोग अपने बुद्धिमानी के साथ शांती से उस समस्या का सामना करते है। जो व्यक्ति समस्या का सामना करता है वह सफल हो जाता है।
किसी भी समस्या से निपटने के लिए ही यह कहानी है। जिसमें एक किसान पुत्री अपने बुद्धिमानी से एक बहुत ही बड़ी समस्या का समाधान आसानी से निकाल लेती है।
एक किसान था, जो बहुत ही परेशान था। इसका कारण यह था कि इस वर्ष भी वर्षा न होने के कारण वह साहूकार का कर्जा चुका नहीं पाया था और अब नई फसल के लिए भी उसके पास धन भी नहीं था।
कुछ विचार कर के किसान ने सोचा कि साहूकार से थोड़ा कर्ज और लिया जाए और अच्छी फसल होने पर वह पूराना और नया कर्जा साहूकार को चुका देगा। यह विचार करके वह साहूकार के पास गया और साहूकार से कहा- साहूकार जी इस वर्ष वर्षा न होने के कारण फसल नहीं हो पाई ओर इसी कारण से मैं, आपका कर्ज चुका नहीं सकता लेकिन मैं अगली फसल के लिए आपसे कुछ कर्जा चाहता हूँ।
साहूकार ने कहा- अरे…! तुम्हारा तो पहले साल का ही बहुत सा कर्ज बाकी है और तुम दुबारा कर्जा लेने आ गए। पहले तुम अपना पूराना कर्ज चुकाओं उसके बाद तुम्हें नया कर्जा मिलेगा।
किसान ने साहूकार से कहा- साहूकार जी अगर आपसे कर्जा न मिला तो मेरा पूरा परिवार भुखा मर जाएगा और मैं आपका सारा कर्जा नई फसल होते है सूद समेत चुका दूंगा यह मेरा वादा है।
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साहूकार को मालूम था कि किसान के घर में किसान के अलावा एक लड़का और एक बहुत ही खुबसूरत जवान लड़की है। जिससे साहूकार विवाह करना चाहता था। लेकिन साहूकार बहुत ही बूढ़ा और कुरूप था। किसान अपनी पुत्री का विवाह एक ऐसे बूढ़े से बिलकुल नहीं करना चाहता था।
साहूकार ने किसान से कहा- किसान अगर तुम अपनी पुत्री का विवाह मेरे साथ कर दो तो मैं तुम्हे जितना चाहे उतना कर्जा दुंगा और तुम्हारा पूराना सारा कर्जा माफ भी कर दूंगा।
किसान ने कहा- साहूकार जी, बिलकुल नहीं…! मैं, अपनी पुत्री का विवाह तुम्हारे साथ नहीं करूंगा और तुम ऐसा सोचना भी मत।
कुछ देर साहूकार सोचने के बाद किसान से कहनें लगा- किसान तो मेरे पास एक उपाय है। मैं तुम्हारे सामने तीन शर्त रखता हूं।
- मैं इस पोटली में दो तरह के कंकड़ रखता हूं काला और सफेद। तुम्हारी पुत्री से उसमें से एक कंकड़ निकालने को कहूंगा। अगर उसने काला कंकड़ निकाला तो तुम्हें उसका विवाह मेरे साथ ही करना होगा और तुम्हारा सारा कर्जा माफ कर दूंगा।
- तुम्हारी पुत्री ने सफेद कंकड़ निकाला तो उसे मुझसे विवाह नहीं करना होगा और तुम्हारा सारा कर्जा माफ कर दूंगा।
- लेकिन अगर तुम्हारी पुत्री ने इस पोटली से कंकड़ निकालने से मना कर दिया तो तुम्हें जेल जाना होगा और तुम्हारी पुत्री का विवाह भी मुझसे करना होगा।
किसान कुछ देर सोचने लगा कि क्या किया जाए। इसी बीच साहूकार ने छल से पोटली में दोनो ही काले रंग के कंकड़ पोटली में ड़ाल दिए। कंकड़ ड़ालते समय किसान कि पुत्री ने साहूकार के छल को देख लिया।
साहूकार ने किसान पुत्री से कहा- तुम इस पोटली से एक कंकड़ निकालों।
किसान पुत्री कुछ देर सोचने के बाद पोटली से एक कंकड़ निकाला और बिना देखे ही कंकड़ भरे रास्ते में धिरे से निचे गिरा दिया जिससे जल्द ही वह कंकड़ अन्य कंकड़ों के साथ मिल गया।
किसान पुत्री ने साहूकार से कहा- ओहो…! मैं कितनी बेपरवाह हूं। मेने वह कंकड़ निचे गिरा दिया। थोड़ा भी सम्भाल न सकी उस कंकड़ को।
यह देख कर साहूकार को बहुत ही क्रोध आया लेकिन, किसान पुत्री ने बात को संभालते हूए साहूकार से कहा- साहूकार जी मेने किस रंग का कंकड़ निकाला था यह जानने के लिए उस पोटली में देखें कि किस रंग का कंकड़ पोटली में बचा है।
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साहूकार ने मन मार कर पोटली से कंकड़ निकाला जिसका रंग काला था।
किसान पुत्री ने साहूकार से कहा- साहूकार जी काला कंकड़ देख कर यह सिद्ध हो गया कि मेने सफेद रंग का कंकड निकाला था और अब तुम्हें मेरे पिता को फसल के लिए धन भी देना होगा और पूराना कर्जा पूरा माफ भी करना होगा। यह कथन आपने ही अपनी शर्त में कहा था।
नोट:- साहूकार ने अपनी पोटली में दोनो ही कंकड़ काले रखे थे। और समय रहते ही किसान पुत्री ने वह देख लिया था। किसान पुत्री ने अपने बुद्धिमानी और चतुराई से काम लिया और छली साहूकार को ही छल लिया। किसी भी समस्या के समय समझ और शांत रहते हूए अपने बुद्धिमानी से काम लिया जाए जो बड़ी से बड़ी समस्या से भी लड़ा जा सकता है।