छोटी नैतिक कहानियाँ (Short Moral Stories in Hindi) हमारे जीवन में बदलाव लाने वाले छोटे-छोटे संदेशों के साथ आती हैं। ये कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि जीवन में नैतिकता, ईमानदारी, संयम, परोपकार और जीवन का महत्व क्या है। इन कहानियों का माध्यम हमें आत्मनिर्भर बनाता है और संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा प्रदान देता है।

इसलिए आज हम इन कहानियों की मदद से एक ऐसे सफर पर ले जायेंगे, जो न सिर्फ आपको रोमांचक करेगा, बल्कि जीवन क्या है समझने में भी मदद करेगा। मैंने एक किताब में पढ़ा था, कि अगर आप अपनी जिंदगी को बदलने का जज्बा रखते है तो हर एक चीज आपको जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को सीखा सकती है इसके विपरीत अगर आप स्वंय ही बदलने का प्रयास नहीं करते है तो आपको दुनियां का कोई भी मोटिवेशन स्पीकर, किताब या कहानी नहीं सीखा सकती है।

Best Short Moral Stories in Hindi

इस स्टोरी ब्लॉग लेख में, हम आपके साथ हिंदी में कुछ छोटी नैतिक कहानियाँ (Short Moral Stories in Hindi) साझा करेंगे। इन कहानियों के माध्यम से हम आपको के जीवन के विभिन्न पहलु, दूसरों की मदद करने की आदत, सच्चाई और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के महत्व को बताएंगे। ये कहानियाँ हमें दिखाती हैं कि नैतिकता के मार्ग पर चलना हमारे जीवन को कैसे सुंदर और समृद्ध बना सकता है।

इस Short Moral Stories in Hindi ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से, हम आपको आपके बच्चों को ये कहानियाँ सुनाकर नैतिक मूल्यों को समझाने और सिखाने का उपाय भी प्रदान करेंगे। 

#1 दो दोस्तो की कहानी

Moral Story For Students in Hindi: यह कहानी दो दोस्तों की है, एक गरीब और दूसरा अमीर। दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।

एक दिन अमीर दोस्त का जन्मदिन था। उसके घरवालों ने उसे कई महंगे गिफ्ट दिए, जिनमें एक “रोलेक्स” घड़ी भी शामिल थी। अमीर दोस्त घड़ी पहनकर कॉलेज गया और उसे अपने सभी दोस्तों को दिखाने लगा।

उन दोस्तों में गरीब दोस्त भी शामिल था। उसने घड़ी की तारीफ करते हुए कहा कि यह बहुत सुंदर है। वह घड़ी को देखता रहा।

अमीर दोस्त ने यह देखा और अपने गरीब दोस्त को दया दिखाते हुए कहा कि अगर उसे घड़ी अच्छी लगी है तो वह उसे आज के लिए पहन सकता है।

शाम होने पर अमीर दोस्त ने घड़ी वापस मांगते हुए कहा, “अच्छी लगी न, यह घड़ी?”

गरीब दोस्त ने घड़ी लौटाते हुए कहा, “अच्छी… बहुत अच्छी है तुम्हारी यह घड़ी, लेकिन तुम्हें यह घड़ी खरीदने के लिए तो बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी क्योंकि यह बहुत ही महंगी है।”

अमीर दोस्त ने कहा, “नहीं…नहीं… दोस्त, मुझे यह घड़ी मेरे बड़े भाई ने मेरे जन्मदिन पर गिफ्ट दी है।”

गरीब दोस्त ने कुछ सोचते हुए कहा, “वाह! तुम्हारे भाई कितने अच्छे हैं।”

अमीर दोस्त ने कहा, “हाँ… वे बहुत अच्छे हैं, जिन्होंने मुझे इतनी कीमती घड़ी उपहार स्वरूप दी है।”

अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा, “मैं जानता हूं, कि तुम सोच रहे होंगे कि काश तुम्हारा भी कोई ऐसा भाई होता जो तुम्हें कीमती उपहार देता और तुम भी मेरी तरह बन सकते.”

गरीब दोस्त की आंखों में अनोखी चमक थी और उसने कहा, “नहीं यार, मैं तुम्हारे जैसा नहीं बल्कि तुम्हारे भाई जैसा बनना चाहता हूँ, जो इतना कीमती उपहार दे सके।”

इस कहानी से हमने क्या सीखा?

  • अपनी सोच हमेशा ऊँची रखो।
  • दूसरों से लेने की अपेक्षा दूसरों को देने के योग्य बनो।
  • अगर आपकी सोच ऊंची है, तो आपको बड़ा बनने से कोई रोक नहीं सकता।

महत्वपूर्ण बातें:

  • गरीब दोस्त ने अमीर दोस्त की घड़ी की तारीफ की, लेकिन उसने उसे नहीं मांगा।
  • गरीब दोस्त ने अमीर दोस्त के भाई की प्रशंसा की, जो इतना कीमती उपहार दे सकता था।
  • गरीब दोस्त ने खुद को अमीर दोस्त के भाई जैसा बनने का लक्ष्य रखा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपनी सोच ऊँची रखनी चाहिए। हमें दूसरों से लेने की अपेक्षा दूसरों को देने के योग्य बनने का प्रयास करना चाहिए।

ये कहानी भी पढ़े: जैसी करनी वैसी भरनी कहानी

******

#2 आप कभी कुछ गलत तो नही कर रहे…

Short Moral Stories in Hindi – आश्रम में रहने वाले दो विद्यार्थी भुवन और संजय की शिक्षा पूरी हो गई थी। घर जाने से पहले उन्हें एक अंतिम परीक्षा पास करनी थी। जो बच्चा इस परीक्षा में पास होता, उसे ही घर जाने दिया जाता था।

गुरुजी ने दोनों को एक-एक कबूतर दिया और कहा कि इसे ऐसी जगह ले जाकर मारना जहाँ कोई न देख रहा हो। जो इसे पहले मारकर लाएगा, वह पास होगा।

भुवन एक गुफा में गया और कबूतर को मारकर ले आया, लेकिन संजय को शाम तक भी कोई ऐसी जगह नहीं मिली जहाँ कोई न देख रहा हो।

गुरुजी ने संजय से पूछा कि तुम उदास क्यों हो?

संजय ने कहा कि गुरुजी, मैं कबूतर को नहीं मार पाया क्योंकि मुझे कोई ऐसी जगह नहीं मिली जहाँ कोई न देख रहा हो।

गुरुजी ने कहा कि तुमने बहुत अच्छा किया।

भुवन को लगा कि वह पास हो गया है, लेकिन गुरुजी ने उसे नहीं रोका।

गुरुजी ने कहा कि भुवन का ज्ञान अभी अधूरा है और वह असल में अपनी अंतिम परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया है।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है? 

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी निर्दोष जीव को नहीं मारना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों के प्रति दयालु और करुणामय होना चाहिए।

यह कहानी भी पढ़े: शक्ति का दुरूपयोग है असफलता का कारण

******

#3 लालच बुरी बला है..

Short Moral Stories in Hindi – राम और श्याम दो दोस्त थे। एक दिन वे दोनों धन कमाने के लिए परदेश जाने के लिए निकले। रास्ते में उन्हें एक गांव में काम ढूंढने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिलता।

अगले दिन वे दूसरे गांव की ओर चलते हैं। रास्ते में उन्हें एक बूढ़ा आदमी मिलता है। बूढ़ा उन्हें उस रास्ते पर जाने से रोकता है और कहता है कि वहां एक पिशाच रहता है जो लोगों को मार देता है।

दोनों दोस्त सोचते हैं कि वे उसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। कुछ दूर चलने पर उन्हें एक लाल रेशमी थैली मिलती है। थैली में सोने की मोहरें होती हैं। श्याम मोहरों को देखकर कहता है कि अब उन्हें परदेश जाने की कोई आवश्यकता नहीं है और वे घर लौट सकते हैं।

राम भी श्याम की बात से सहमत हो जाता है। चलते-चलते उन्हें भूख लगने लगती है। राम पास के गांव से भोजन लाने के लिए जाता है।

श्याम के मन में लालच आता है। वह भोजन में जहर मिला देता है ताकि राम भोजन खाकर मर जाए और उसे सारी मोहरें मिल जाएं।

राम के मन में भी लालच आता है। वह सोचता है कि जैसे ही श्याम भोजन लेकर आएगा, वह उसे मारकर सारी मोहरें लेकर अपने गांव चला जाएगा।

श्याम भोजन लेकर आता है। राम उस पर हमला करता है और श्याम की मृत्यु हो जाती है। राम भूख से मजबूर होकर श्याम का लाया हुआ भोजन खा लेता है। भोजन में जहर होने के कारण राम भी मर जाता है।

दोनों दोस्तों की मृत्यु हो जाती है और सोने की मोहरें वहीं की वहीं पड़ी रह जाती हैं।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है? 

  • लालच एक बुरी चीज है। यह हमें गलत काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • हमें अपने दोस्तों पर विश्वास करना चाहिए।
  • हमें ईमानदारी से जीवन जीना चाहिए।

इस कहानी में राम और श्याम दोनों दोस्तों की मृत्यु लालच के कारण होती है। हमें इस कहानी से सीख लेनी चाहिए और लालच से दूर रहना चाहिए।

ये कहानी भी पढ़े: 5 नैतिकता के साथ कहानियां

******

#4 मुठ्ठी भर नमक का स्वाद

Short Moral Stories in Hindi : एक व्यक्ति गुरुजी के पास गया और कहा कि वह अपने जीवन से बहुत परेशान है। गुरुजी ने एक गिलास पानी में नमक डाला और उसे पीने के लिए कहा। आदमी ने पानी पीकर कहा कि यह बहुत खराब है।

फिर गुरुजी उसे एक तालाब के पास ले गए और उसमें भी नमक डाला। उन्होंने आदमी को तालाब का पानी पीने के लिए कहा। आदमी ने पानी पीकर कहा कि यह बहुत अच्छा है।

गुरुजी ने समझाया कि जीवन में दुखों की मात्रा एक समान होती है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह दुखों का कितना स्वाद लेता है।

अगर वह अपनी सोच और क्षमता को गिलास की तरह सीमित रखता है, तो वह केवल खराब पानी ही पीएगा। लेकिन अगर वह अपनी सोच और क्षमता को तालाब की तरह विशाल बनाता है, तो वह मीठा पानी पीएगा।

इस कहानी से हमने क्या सीखा? 

जीवन में दुख हमेशा साथ चलते हैं, लेकिन अगर हम अपनी सकारात्मक सोच को उनके आगे नहीं झुकने देते हैं, तो सभी दुख हमारे सामने बेकार हो जाएंगे।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं:

  • जीवन में दुखों की मात्रा एक समान होती है।
  • यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह दुखों का कितना स्वाद लेता है।
  • अपनी सोच और क्षमता को विशाल बनाकर हम जीवन में खुशी पा सकते हैं।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।

यह कहानी भी पढ़े: कोरा ज्ञान प्रेरणादायक कहानी

****************

#5 मुख से निकले शब्द वापिस नहीं लिए जा सकते…

Short Moral Stories in Hindi : एक बार की बात है, एक किसान ने अपने पड़ोसी से झगड़ा कर लिया और उसे बहुत भला-बुरा कह दिया। बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह एक महात्मा के पास गया।

उसने महात्मा से पूछा कि वह अपने मुँह से निकले हुए गलत शब्द वापस कैसे ले सकता है।

महात्मा ने किसान को जंगल में जाकर बहुत सारे पक्षियों के पंख इकट्ठा करने और उन्हें शहर के बीचोबीच रखने के लिए कहा।

किसान ने ऐसा किया और फिर वापस महात्मा के पास गया।

तब महात्मा ने कहा, “अब दोबारा जाओ और उन पंखो को इकट्ठा करके मेरे पास ले आओ जिन्हे तुम शहर के बीचोबीच रख आये थे।”

किसान वापस गया, लेकिन तब तक सारे पंख हवा से उड़ चुके थे।

वह खाली हाथ महात्मा के पास लौटा।

महात्मा ने कहा, “ठीक ऐसा ही हमारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ भी होता है। तुम आसानी से उन्हें अपने मुँह से निकाल तो सकते हो, लेकिन उन्हें चाहकर भी वापस नहीं ले सकते।”

इस कहानी से हमने क्या सीखा?

किसी को भी भला-बुरा कहने से पहले यह याद रखना चाहिए कि मुँह से निकले शब्द वापस नहीं लिए जा सकते हैं।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं:

  • शब्दों का बहुत प्रभाव होता है।
  • एक बार मुँह से निकल जाने के बाद शब्द वापस नहीं लिए जा सकते।
  • किसी को भी भला-बुरा कहने से पहले सोचना चाहिए।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। हमें सोच-समझकर बोलना चाहिए और किसी को भी भला-बुरा नहीं कहना चाहिए।

ये छोटी सी Short Moral Stories in Hindi आपको कैसी लगी? हमें Comment कर जरूर बताएं, और साथ ही Like करें और अपने Friends व Followers के साथ Share करें।