Tenali Raman Stories in Hindi: तेनालीराम, जिन्हें भारतीय लोककथाओं में “कथा-कवि” के नाम से जाना जाता है, यह एक ऐसा चरित्र है जो अपनी बुद्धिमता और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध है। उनकी कहानियां हमें अनगिनत मौजमस्ती, शिक्षा, और जीवन नीति के साथ भरपूर हंसी प्रदान करती हैं। इन कहानियों के माध्यम से हम न केवल मनोरंजन का आनंद लेते हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी समझते है। 

यह ब्लॉग आपको ले जाएगा उन अद्भुत “Tenali Raman Stories in Hindi” की दुनिया में, जो हमें हंसी के साथ-साथ सच्चे जीवनीति की भी शिक्षाएं देती हैं। तेनालीराम बुद्धिमता और उनकी चतुराई का प्रमाण है, जिससे वह राजा की दरबार में एक अनूठी पहचान बना लेते हैं। इस यात्रा में हम सभी को तेनालीराम के साथ जीवन अहम पहलुओं को समझने का मौका मिलेगा। 

राजा की तरकीब और तेनालीराम की बुद्धिमता 

Tenali Raman Stories in Hindi: एक बार तेनालीराम और राजा कृष्णदेवराय में किसी बात को लेकर अनबन हो गयी. तेनालीराम ने दरबार में आना बंद कर दिया. कई दिन बीत गए. राजा ने सेवकों से तेनालीराम को बुलाकर लाने के लिए कहा. सेवकों ने बहुत खोजा पर तेनालीराम कहीं नहीं मिले. 

राजा ने एक तरकीब सोची. उन्होंने पूरे गाँव में यह खबर फैला दी कि राजा अपने राजकीय कुएँ का विवाह कर रहे हैं. सभी प्रधानों को अपने-अपने गाँव के कुएँ लेकर विवाह में शामिल होना अनिवार्य है. जो ऐसा नहीं करेगा, उसे जुर्माने में पांच हजार स्वर्ण मुद्राएँ देनी होगी. इस आदेश ने सभी को परेशान कर दिया कि वे कुओं को कैसे ले जायेंगे ? 

तेनालीराम एक गाँव में भेष बदलकर रह रहे थे. उस गाँव के मुखिया को उन्होंने परेशान देखा तो कहा, ‘ प्रधान जी, आप चिंता ना करें. आप आसपास के प्रधानों को लेकर राजधानी पहुँचे. ‘

सभी राजधानी पहुँच गए. तेनालीराम उनके साथ ही थे. एक व्यक्ति उनका सन्देश लेकर राजदरबार पहुँचा और राजा से कहा, ‘ महाराज, हमारे कुएँ विवाह में शामिल होने के लिए राजधानी के बाहर पहुँच चुके हैं. आप कृपया राजकीय कुएँ को उनकी अगवानी के लिए भेजने का कष्ट करें, ताकि वे विवाह समारोह में शामिल हो सके. 

राजा ने उस व्यक्ति से पूछा, ‘ तुम्हें ऐसा कहने के लिए किसने कहा.’ व्यक्ति ने कहा बताया, ‘ कुछ दिनों से हमारे गाँव में एक व्यक्ति आकर रहने लगा है. उसी ने यह सुझाव हमें दिया है. ‘ यह सुनकर राजा खुद राजधानी से बाहर आये. उन्होंने तेनालीराम को गले से लगाया और ससम्मान राजदरबार में ले आये. 

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ईमानदारी और भलमनसाहत का प्रमाण 

Tenali Raman Stories in Hindi: राजा कृष्णदेव राय के दरबार में तेनालीराम से ईर्ष्या करने वाले राज दरबारियों की कमी नहीं थी. दरबारी तेनालीराम के विरुद्ध राजा के कान भरते रहते थे. एक दिन राजा ने गुस्से में तेनालीराम से कहा, ‘ मैं तुम्हारी शिकायतें सुनते-सुनते परेशान हो गया हूँ. तुम दो दिन के भीतर स्वयं को ईमानदार और भला सिद्ध करो, अन्यथा राज्य छोड़कर चले जाओ.’ 

तेनालीराम पर मुसीबत आ गयी. वह दो दिन तक दरबार गया ही नही. तीसरे दिन राजा ने कोतवाल को बुलाकर कहा, ‘ तेनालीराम को दिया गया दो दिन का समय समाप्त हो गया है. उसे राज्य से बाहर निकाल दो.’ यह सुनकर दरबारी प्रसन्न हो गए. 

कोतवाल सिपाहियों के साथ तेनालीराम के घर पहुँचा. वहाँ पर रोना-पीटना मचा था. किसी ने बताया कि दुर्दशा से बचने के लिए तेनालीराम कल नदी में डूब गए. राजा को जब यह पता चला तो उनका सिर चकरा गया. दरबार में तुरंत शोक सभा बुलवाई गयी. दरबारियों ने आँसू बहा-बहाकर तेनालीराम का गुणगान किया. राजा ने भी कहा, ‘ तेनालीराम जैसा भला और ईमानदार आदमी मिलना मुश्किल है.’ 

राजा के ऐसा कहते ही एक अजनबी उठा, जिसने लबादा ओढा हुआ था. वह बोला, ‘ महाराज , तेनालीराम की ईमानदारी और भलमनसाहत का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है ? सारे दरबारियों और स्वयं राजा ने उसे एक स्वर में अच्छा बताया है.’ यह कहकर उस अजनबी ने अपना लबादा उतार दिया. वह तेनालीराम ही था. 

तेनालीराम को जीवित देखकर सभी दरबारी भौचक्के रह गए. राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘ तेनालीराम, तुमसे कोई नहीं जीत सकता.’ 

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