विक्रम बेताल की प्रथम कहानी

Author: Wiki Bharat Team

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Vikram Betal Story In Hindi : नमस्ते दोस्तों! क्या आपने कभी विक्रम बेताल के बारे में सूना है? जरूर सूना होगा क्योंकि बचपन में हमें हमारी दादी और अध्यापक विक्रम बेताल की कहानियों के माध्यम से हमें जीवन के सीख देते थे। इसलिए आज हम आपको विक्रम और बेताल की पहली कहानी की दुनिया में ले जाएंगे। 

इस कहानी में हैरानी, जादू, और सिखने का एक खास तरीका है। तो चलिए, हम साथ में इस मजेदार सफर पर निकलते हैं और समझते हैं कि विक्रम बेताल की प्रथम कहानी (Vikram Betal Story In Hindi) हमें क्या सिखाती हैं।

विक्रम बेताल की पहली कहानी / Vikram Betal Story In Hindi

राजा विक्रमादित्य जब पेड़ पर लटके उस (मुर्दे) बेताल को उठाकर ले जाते है तब उनके बिच एक शर्त होती है की वह मुर्दा विक्रमादित्य को कहानी सुनायेगा और अंत में उसका न्याय भी मांगेगा अगर राजा ने गलत न्याय किया तो वह उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े कर देगा एवं यदि रास्ते में विक्रमादित्य ने अपने मुंह से आवाज निकाली तो मुर्दा वापस उड़ कर पेड़ पर लटक जायेगा।

अब रास्ते में बेताल ने विक्रमादित्य को एक कहानी सुनाई-

पाटलीपुत्र नगर में माता रानी का एक बहुत ही प्रचलित मंदिर था दूर-दूर से लोग उस मंदिर में देवी के दर्शन करने के लिए आते थे।

एक बार सूर्यमल और उसका मित्र चंद्रसेन भी देवी के दर्शन के लिए उस मदिर में आये मंदिर में हाथ जोड़कर देवी के दर्शन कर रहे थे।

जैसे ही सूर्यमल में पीछे मुड़ा उसकी नजर एक सुन्दर सी लड़की पर पड़ी, वो लड़की भी देवी के दर्शन के लिये है वहां आई थी।

सूर्यमल उस लड़की को देखकर उस पर मोहित हो गया उसके मन में बैचेनी होने लगी वह मन ही मन उस लड़की को चाहने लग गया।

वह सोचने लगा की यह लड़की को देवी ने वरदान स्वरुप मेरे सामने खड़ा किया है।

जब उससे नहीं रहा गया, तो उसने अपने मित्र चन्द्रसेन से अपनी मन की व्यथा बताई और उस लड़की से विवाह करने की बात कही।

चंद्रसेन से कहा मित्र के होते हुए मित्र को परेशानी कैसी, चलो उस लड़की के माता-पिता से विवाह की बात करते है।

सूर्यमल और उसका मित्र चंद्रसेन लड़की के माता-पिता से विवाह की बात करने के लिये उनके घर गए। वहाँ पर उन्होंने सारी घटना लड़की के माता-पिता से बताई।

अब ऐसा कौन सा पिता होगा जिसे अपनी पुत्री के विवाह की चिंता नहीं सताती हो सभी पिता चाहते है की उसकी लड़की को एक अच्छा सा सुयोग्य वर मिले।

कन्या के पिता ने विवाह के प्रस्ताव को देवी का आशीर्वाद मानते हुये स्वीकार कर लिया और लड़के से एक शर्त रखी की- “मेरी लड़की देवी की परम भक्त है

वह प्रतिदिन सुबह-शाम देवी के दर्शन के बिना भोजन नहीं करती है अतः में चाहता हूँ की शादी के आप उसका यह नियम टूटने न दे उसका यह नियम सदा बना रहे “

लड़के (सूर्यमल) ने लड़की के पिता की यह शर्त को स्वीकार किया और कहा आ[ निश्चिंत रहे बाबा मैं शादी के बाद भी इसका नियम टूटने नहीं दूंगा।

लड़की का विवाह सूर्यमल से हो गया और विवाह के बाद लड़की के माता-पिता ने दोनों को विदा किया लड़का और उसके दोस्त घोड़े पर जा रहे थे और लड़की को डोली में ले जाया गया।

जब वे लोग रात के अँधेरे में जंगल से बारात ले कर गुजर रहे थे तो जंगल में कुछ डाकुओं ने उन पर हमला कर दिया और लड़की को उठा कर ले गये।

सूर्यमल और उसका दोस्त डाकुओं से लड़ते-लड़ते हार गये और अंत में डाकुओ ने दोनों की गर्दने काट दी।

जब लड़की वापस वहां पर आई तो उसने देखा की सभी लोग मरे पड़े है और उसके पति और दोस्त की गर्दने कटी हुई लाशे जमीन पर पड़ी हुई है।

वह यह सब देखकर अपनी सुध खो बेठी और आत्महत्या करने के निर्णय लिया जैसे ही लड़की ने अपनी छुरा घोपना चाहा वहां पर शाक्षात देवी माँ प्रकट हो गयी।

माता ने कन्या से कहा क्यूँ अपनी जान दे रही हो- लड़की ने कहा की है माँ तूने मेरा सुहाग उजाड़ दिया है अब में जीवित रह कर क्या करूँ इसलिए मुझे मर जाने दे।

माता ने कहा तू चिंता मत कर मैं अभी इन दोनों को जीवित कर देती हूँ; यह सुनकर लड़की की खुशी का ठिकाना न रहा उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ।

माता ने लड़की से कहा- बेटी तू एक काम कर इन दोनों के सिर (माथे) को इनके शरीर से जोड़ दे में इनको जीवित कर दूंगी।

लड़की ने ऐसा ही किया दोनों के सिर शरीर से जोड़ दिया माता ने उनको जीवित कर दिया और अंतर्ध्यान हो गयी।

लेकिन ख़ुशी और जल्दबाजी में लड़की से एक भूल हो गयी- “उसने अपने पति की गर्दन उसके मित्र से जोड़ दी और उसके पति के मित्र की गर्दन अपने पति के शरीर से जोड़ दी”

अब दोनों के गर्दन एक दुसरे के शरीर के साथ जुड़ गयी पति की गर्दन मित्र के शरीर से और मित्र की गर्दन पति के शरीर से-

लड़की यह देख कर घबरा गयी उसे समझ नहीं आ रहा था की वह किसे अपना पति माने- क्योंकि अगर पति के शरीर को अपना पति माने तो उस पर उसके मित्र की गर्दन थी।

अगर पति की गर्दन को अपना पति माने तो उसके निचे शरीर उसके मित्र का था अब उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे।

इतना कह कर बेताल ने विक्रमादित्य से एक प्रश्न पूछा की विक्रमादित्य मैने सुना है की तुम बड़े न्यायी हो कभी भी गलत न्याय नहीं करते हो। उसने कहा की इस कहानी में भी न्याय करो और जवाब दो की वह कन्या किसको अपनायेगी।

वह किसे अपना पति मानेगी अगर राजा गलत न्याय करता तो उसके सिर के टुकड़े हो जाते इसलिए राजा विक्रमादित्य ने न्याय किया और कहा सुन बेताल-

शरीर के सभी अंग अपने-अपने कार्य करते है एक अंग कर कार्य दूसरा अंग नहीं कर सकता है लेकिन इन अंगो को कार्य करवाने के लिये संचालन मष्तिष्क से ही होता है मस्तिष्क का महत्व दुसरे सभी अंगो से अधिक है

इसलिए जिस भी शरीर पर कन्या के पति का सिर रहेगा वह उसे ही अपना पति मानेगी।

दोस्तों आपको यह Vikram Betal Story in Hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरुर बताये, हमने इस वेबसाइट पर विभिन्न कहानियां लिखी है इसलिए आप इस वेबसाइट पर आते रहे और हमारी कहानियों को पढ़ते रहिये।

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